पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५४८

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1 जी ५४. समएल [४ पन्ने इसराएल जान गये कि समूएल परमेश्वर का आगमज्ञानौ स्थिर हुआ। २१। और परमेश्वर मेला में फेर प्रगट हुआ क्योंकि परमेश्वर ने अपने को मेला में समूएल पर अपने वचन के द्वारा से प्रगट किया। ४ चौथा प पर समूएन की बात मारे इमराएल को पहुंची और ऐसा हुआ कि इसराएल फिलिस्तियों से संग्राम करने का निकले और अबनजर के पास डेरा खड़ा किया और फिलिस्तियों ने श्राफीक में डेरा खड़ा किया ॥ २। और फिलिस्तियों ने इमराएल के आगे पांती बांधी और जब संग्राम फैल गया तब इमराएल फिलितियों के आगे मारे गये और उन्हों ने सेना में से चार सहस्त्र मनुष्य चौगान में मारे । जब लोग छावनी में पाये इमराएल के प्राचीनों ने कहा कि परमेश्वर ने आज हमें फिलिस्तियों के आगे क्यों धूस्त किया श्राग्रो परमेश्वर की साक्षी की मंजूधा सैला से ले आदे कि जब वुह हम्में श्रावे वुह हमें बैरियों के हाथ से बचाने । ४ । से उन्हों ने सैला में लोग भेज जिसने सेनायों के परमेश्वर को जादो करोवियों के ऊपर बैठा है साक्षी की मंजूषा को ले अावें और एली के दोनों बेटे हफनी और फौनिहास ई.श्वर को साक्षी की मंजूषा के पास वहां थ। ५ । और जब परमेश्वर की साक्षी की मंजूषा छावनी में पहुंची तब सारे इसराएलियों ने बड़े शब्द से ललकारा यहां ला कि भूमि कांप उठी॥ ६ । और जब फिलिस्तियों ने ललकारने का शब्द सुना तो बोले कि इबरानियों की छावनी में यह क्या महा शब्द है फिर उन्हों ने समझा कि परमेश्वर को मंजूषा छावनी में पहुची। ७। तब फिलिस्ती डरे क्योंकि उन्हों ने कहा कि ईश्वर छावनी में आया है और बोले कि हाय हम पर क्योंकि आज कल ऐसी बात नहीं हुई। हाय कौन ऐसे बलवंत देव के हाथ से हमें बचावेगा यह बुह देव है जिस ने मिसियों को अरण्य में समस्त मरियों से मारा॥ ॥ हे फिलिस्तियो बलवंत होगी और पुरुषार्थ करो जिसने तुम इबरानियों के सेवक न बनो जैसा वे तम्हारे हुए हैं परंतु पुरुषार्थ करो और लड़ो। १० । सो फिलिन्तियों ने ॥