पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

की पुस्तक । ४५ २५ पर्च मार्ग में मेरी अगुआई किई कि अपने सामी के भाई की वेटौ उस के बेट के लिये लेऊ । १६ । सो अब यदि तुम कृपा और मच्चाई से मेरे खामी के साथ व्यवहार किया चाहो तो मुझ से कहा और यदि नहीं तो मुझ से कहो कि मैं दहिने अथवा बायें हाथ फिरूं ॥ ५०। तब लायन और बतूएल ने उत्तर दिया और कहा कि यह बात परमेश्वर की ओर से है हम तुझे बुरा 'अथवा भला नहीं कहि सक्ने॥ ५१ । देख रिवका तेरे आगे है इसे ले और जा और जैसा परमेश्वर ने कहा है अपने खामी के बेटे की पत्नी इसे कर दे। ५२। और ऐसा हुआ कि जब अविरहाम के सेवक ने ये बातें मुनी भमि ले परमेश्वर के आगे दंडवत किई ॥ ५३ । और सेवक ने चांदी और सेाने के बर्तन और पहिरावा निकाला और रिवका को दिया और उस ने उस के भाई और उस की माता को भी बहुमूल्य बस्तु दिई॥ ५४ । और उस ने और उस के साथी मनथ्यों ने खाया और पीया और रात भर ठहरे और वे बिहान को उठे और उम ने कहा कि मुझे मेरे सामी पाम भेजिये ॥ ५५ । और उस के भाई और उस की माता ने कहा कि कन्या को हमारे संग एक दस दिन रहने दीजिये उम के पीछे वुह जायगी॥ ५६। और उस ने उन्हें कहा कि मुझे मत रोको कि परमेश्वर ने मेरी यात्रा सफल किई है मुझे विदा करो कि मैं अपने खामी पास जाऊं ॥ ५७! वे बोले हम उस कन्या को बुलाके उसी से पूछते हैं ॥ ५८। तब उन्हों ने रिबकः को उसे कहा कि तू इस पुरुष के साथ जायगी और बुह बोली कि जाऊंगी। ५६ । सो उन्हों ने अपनी बहिन रिबकः और उस की दाई और अविरहाम के सेवक और उस के लोगों को बिदा किया ॥ ६। और उन्हों ने रिबका को आशीष दिया और उसे कहा कि तू हमारी बहिन है कड़ारों की माता हो और तेरा बंश उन के द्वारों का जो उसो बैर रखने हैं अधिकारी होवे ॥ ६१ । और रिबकः और उम् को सहेलियां उठौं और ऊंटों पर चढ़के उन मनुष्य के पीछे हुई और उस सेवक ने रिवकः को लिया और अपना मार्ग पकड़ा॥ ६२। और इजहाक सजीवन देखनेवाने के कुएं पर मार्ग में आ निकला था क्योंकि वुह क्लिन देश में रहता था ॥ ६३। और इज़हाक संध्याकाल को ध्यान करने के बुलाया और