पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५५३

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५५ को १ पन्तक । मनष्य लोगों में से मारे गये इम कारण कि परमेश्वर ने लोगों में से बहुतों को बधन किया लोगों ने बिलाप किया ॥ २० । सो बैतशम्स के लोग बोले कि किम की मामर्थ्य है कि इस पवित्र परमेपर ईश्वर के आगे खड़ा होवे और हम्में से बुह किम के पास चढ़ जायगा ॥ २१ ! तब उन्हों ने करयतअरौम के निवामियों के पास यह कह के दून भेजे कि फिनिम्ती परमेपर की मंजूषा को फर लाये हैं तुम उतार के अपने पास ले जाओ। ७ सातवा पर्ने । व करयनअरीम के लोग आये और परमेश्वर की मंजषा को ले जाके अबिनदब के घर में पहाड़ी पर रखा और उस के बेटे इन्निअजर को पवित्र किया कि परमेश्वर की मंजूषा को रक्षा करे। २। और यों हुआ कि गंजूषा करयनअरीम में बहुत दिन ला रही क्योंकि बीस बरम बीत गये थे तब इमराएन के मारे घरानों ने परमेश्वर के लिये बिलाप किया ॥ ३। और समूएल इसराएल के सारे घराने को कहके बोला कि यदि तुम अपने मारे मन से परमेश्वर की और फिरोगे तो उन उपरी देवतों को और दूमतारान को अपने में से निकाल फको और परमेश्वर के लिये मन को मिद करो और केवल उम की सेवा करो और बुह तुम्हें फिलिस्त्रियों के हाथ से जुड़ावेगा। ४। तब इमराएल के संतान ने बअलौम और इमतारात को दूर किया और केवल परमेश्वर की सेवा करने लगे ॥ ५ । फिर समएल ने कहा कि मारे इमराएन मिसफ: में एकद्वे होयें और मैं तुम्हारे लिये परमेश्वर से प्रार्थना करूंगा ॥ ६ । सो वे सब मिमफा में एकट्टे हुए और पानी खोंचा और परमेश्वर के आगे उंडेला और उम दिन ब्रत र कसा और वहां बोले कि हम परमेश्वर के अपराधी हैं और ममपन्न मिमफः में इसराएल के संतान का न्यायौ हुअा ॥ ७ ॥ और जब फिन्निस्तियों ने मना कि इसराएल के संतान मिस फ: में एकडे हुए तब उन के प्रधान इसराएल के साम्न चन्द्र श्राप से दू मराएल के संतान यह मनके फिलिस्तियां से डर गय॥ । गौर इसराएल के संतान ने ममएल को कहा कि हमारे लिये परमेपर हमारे ईश्वर मे [A. B.S.1 09