पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५५४

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समुफ्त प्रार्थना करने में घम मत जा जिसने बह हमें फिलिस्तियो के हाथ से बचावे॥ । तब समएल ने दुध पीउना एक मेम्ना लिया और परमेश्वर के लिये होम की भेंट चढ़ाई और समान ने इसराएल के लिये परमेश्वर को प्रार्थना किई और परमेश्वर ने उत्तर दिया। १०। और समूएल हेम की भेंट चढ़ा रहा था कि फिलिस्ती संग्राम के लिये इमराएल के सम्मख श्राये परंतु परमेश्वर उम दिन फिलिस्तियों पर महा गर्जन से गञ्जी और उन्हें हरा दिया और वे इमराएल के आगे मारे गये ॥ ११ । और दूसराएली लोगों ने मिसफः से निकल के फिलिस्तियों को खदेड़ा और बैत करके नीचे लो उन्हें मारते चले गये ॥ १२। तब समूएल पन्यर लेके मिसफा और सेना के मध्य में खड़ा किया और उम का नाम यह कहके एबन जर रक्खा कि परमेश्वर ने यहां तो हमारी महाय किई ॥ १३ । सो फिलिस्ती वश में हर और बे इसराएल के सिवानों में फिर न आये और परमेश्वर का हाथ समएन के जीवन भर फिलिस्तियों के विरुङ्ग था ॥ १४ । और वे बस्तियां ओ फिलिस्तियों ने दूसराएल से ले लिई थौं इमराएल को फेरौ गई अकरून से लेके जअन लो और उन के सिवाने को दूसराएल ने फिलिस्तियों के हाथ से छुड़ाया और इसराएलियों में और अमरियों में मेल हुअा। १५ । और ममूगल अपने जीवन भर इमराएल का न्यायी रहा ॥ १६ । और बरस बरस बुह वैतरल का और जिलजाल का और मिसफ का दौरा करता था उन ममस्त स्थानों में इसराएल का न्याय करता था। ५.७ । और रामान को फिर पाना था क्योंकि वहा उम का घर था और दूसराएल का न्याय वहां करता था और वहां उस ने परमेश्वर के लिये बेही बनाई। ओ आठना पर्व गर जब समएल 5ङ्ग हुश्रा नब ऐसा था कि उस ने अपने बेटों को इसराएल पर न्यायी किया। २। अब उम के पहिलीट का नाम थाल था और उम के दूसरे का नाम अवियाह वे बिअर रावः में न्यायी श्वे ॥ ३. पर उस के बेटे उभ की चाल पर न चलने थे परंतु लेभ करके घस लेने पर न्याय बिरूद करने लगे। ४ । नव दुसराएल के मारे