पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५५८

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समूएल कल मैं तुझे विदा करूंगा और जो कुछ तेरे मन में है तुझे बताऊंगा। २०। और तेरे गदहे जो आज तीन दिन से खा गये हैं उन की ओर से निझिंत रह क्योंकि वे मिल गये और दूसराएल को सारी इच्छा किस पर है क्या तेरे और तेरे पिता के समस्त घराने पर नहीं॥ २१। सेो साजन ने उत्तर देके कहा कि मैं बिनयमीनी दूसराएल की गोष्ठियों में से सब से कोटरा नहीं और क्या मेरा घराना बिनयमोन को गोष्ठी के मारे घरानों में छोटे से छोटा नहीं इस बचन के समान तू मुझ से क्या बोलता है। २२। और ममूएल साजल को और उस के सेवक को लेके उन्हें कोठरी में लाया और उन्हें नेउंनहरियों में जो बुलाये गये थे जो जन तौम एक घे सब से श्रेष्ठ स्थान में बैठाया ॥ २३ । तब समूएल ने रसोई कारक को कहा कि बुह भाग जो मैं ने तुझे रख छोड़ने को कहा था ले प्रा॥ ५४। और रसोई कारक ने एक कांधे को और जो उस पर था उठा लिया और साकल के आगे रखके कहा कि देख यह जो धरा है अपने आगे रखके खा दूम लिये कि मैं ने जब से कि लोगों का नेता किया अब लो नेरे लिथे रख छोड़ा था से साऊल ने उस दिन समूएल के साथ भोजन किया। २५ । और जब वे ऊंच स्थान से न गर में उतर आये उस ने साजल से छत पर बात चीत किई ॥ २६। और वे तड़के उठे और विहान ने साजत्व को फिर छत पर बुला के कहा कि उठ में तुझे बिदा करूं सेर साऊल उठा और वे दोनों वह और समूएल बाहर चले गये ॥ २७। जब वे नगर के निकास पर जाने थे नब समूगल ने साजन को कहा कि अपने सेवक को कह कि हम से आगे बढ़े और बढ़ गया पर न तनिक खड़ा रह जिसन ईश्वर का बचन तुझे बताऊं । १. । दसवां पर्च। फर समएल ने एक कुप्यौ तेल लिया और उस के मिर पर ढाला और उसे चूमा और कहा कि यह इस कारण नहीं कि परमेश्वर ने तुझे अपने अधिकार के ऊपर प्रधान करके अभिषेक किया।२। जब त गरे पास मे ग्राज चना जायगा तब दो जन को राखिल की समाधि के होते ही समूएल