पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५६

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६ [२५ पबै ४६ उत्पनि लिये खेत को निकला उम ने अपनी आंखें ऊपर किई और क्या देखता है कि ऊंट चले जाने हैं। ६४ । रिवका ने अपनी आंखें उठाई और जब उस ने इजहाक को देखा तो ऊंट पर से उतर पड़ी॥ ६५ । और उस ने सेवक से पका कि यह जन जो खेत से हमारी भेंट को चला आता है कौन है सेवक ने कहा कि मेरा खामी है इम लिये उस ने बूंघट लेके अपने तई ढांपा ॥ ६६ । नव सेवक ने मब कुछ जो उस ने किया था इजहाक से कहा। और इजहाक उसे अपनी माता सरः के नंब में लाया और रिबकः को लिया वह उस की पत्नी हुई उम् ने उसे प्यार किया और इजहाक ने अपनी माता के मरने के पीके शांति पाई। २५ पचीसवां पर्च।

  • ब अविरहाम ने कतूरः नाम की एक पत्नी लिई ॥ २ । और उसे

दूसवाक और मूख उत्पन्न हुए ॥ ३। और युकसान से मिबा और ददान उत्पन्न हुए और ददान के बेटे अतूर और लतूसी और सैमी॥ ४ । और मियान के बेटे ऐफः और गिफ और हनूक और अविदाः और इल्दात्रा उत्पन्न हुए ये सब कतूरः के लड़के थे॥ ५। और अबिरहाम ने अपना सब कुछ इज़हाक को दिया ॥ ६ । परन्तु दासियों के बेटे को अबिरहाम ने दान दिये और अपने जीते जी उन्हें अपने बेटे इज़हाक पास से पूरब देश में भेज दिया ॥ ७॥ और अबिरहाम के जीवन के दिन जिन में बुह जीता रहा एक सौ पच हन्नर बरस थे। ८। तब अबिरहाम ने अच्छे वृद्ध बय में परिपूर्ण और वृड्न मनुष्य होके प्राण त्यागा और अपने लोगों में बटोरा गया। है। और उम के बेरे इजहाक और इसमएल ने मकफीलः की कंदला में हित्ती मुग के बेटे ई फरून के खेत में जो ममरी के आगे है उसे गाड़ा।। १० । यही खेत अबिरहाम ने हिल के बेटों से मोल लिया था अबिरहाम और उस की पत्नी सरः बहीं गाड़े गये ॥ और अबिरहाम के मरने के पीछे यों हुअा कि ईमार ने उस के बेटे इजहाक को आशीष दिया और दूज हाक सजीवन देखवैया के कुएं के पास रहता था। १२। और अबिरहाम के बेटे दूममअएल की