पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५६०

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० न पाया तो ममूएल पाम गये। ५५२ समूएल १.३। यार जब बुह श्रागम कह चुका तब ऊंचे स्थान में आया । १४। और साऊल के चचा ने उसे और उम के सेबक को कहा कि तुम कहां गये थे और वे बोले कि गदहे ढूंढ़ने और जब उन्हें कहीं १५। तब माऊल का चचा बाला कि मुझे बता कि समूएल ने तुम्हें क्या कहा ॥ १६ । और माऊल ने अपने चचा से कहा कि उस ने हमें खोल के बताया कि गदहे मिल गये पर राज्य का समाचार समूएल ने उसे कहा था उसे न बताया। १७। और समूएल ने मिसफ: में परमेश्वर के आगे लोगों को एकट्टे बुलाया॥ १८ । और इमराए के मंतान को कहा कि परमेश्वर इमरा- एल का ईश्वर यों कहता है कि मैं दूसराएल को निस से निकाल लाया और तुम्हें मिस्त्रियों के और सारे राजाओं के हाथ से और जो तुम्हें सताते थे उन से छुड़ाया ॥ १६ । और तुम ने आज के दिन अपने ईश्वर को त्याग किया जिस ने तुम्हें तुम्हारे सारे बैरियों और तुम्हारी विपनों से बचाया और तम ने उसे कहा कि हम पर एक राजा ठहरा से अब अपनी अपनी गोष्ठी के और महस सहस्र के समान परमेश्वर के आगे प्राओ॥ २० । और जब ममएन ने दूसराएल की सारी गोष्ठियों को एकट्टी किया तब बिनयमोन की गोष्ठी लिई गई ॥ २१ । और जब वुह बिनयमीन को मोही को उन के घरानों के समान पास लावा तव मंत्री का घराना चुना गया और कौम का बेटा माऊल' चुना गया और जब उन्हें ने उसे ढूंढ़ा तो न पाया ॥ २२ ॥ दूस लिये उन्हों ने परमेश्वर से पूछा कि वुह जन फिर यहां बाजेगा कि नहीं और परमेश्वर ने उन्नर दिया कि देखो बुह सामग्री के बीच छिप रहा है । २३ । तब वे दौड़े और उसे वहां से लाये और जब वह लोगों में खड़ा हुआ तब कांधे से ले के ऊपर ले सभी से अधिक ऊंचा था ॥२४ । और समरन ने ममस्त लोगों को कहा कि जिसे परमेम्पर ने चुना है तम उसे देखते हैं। क्योंकि उस के समान मारे लोगों में कोई नहीं तब समस्त लोग ललकार के बाले कि राजा जोवे। २५। फिर ममएल ने लोगों को राज्य की रीति बताई और पुस्तक में लिख के परमेश्वर के आगे रक्दा और समएल ने हर एक मनुष्य को अपने अपने घर भेजा !!