पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५६२

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समएन [१२पर्क कहा और वे आनंद हुए ॥ १.० । इस निये यबीस के मनुष्यों ने कहा कि कन्न तुम पास हम निकलेंगे और जो भला जानो सो हमारे विषय में कीजियो। १३ । और बिहान को साऊल ने लोगों को तीन जथा किई और तड़के के पहर सेना के मध्य में आया और दिन के घाम लो अम्मूनियों को मारा और ऐमा हुआ कि वे जो रह गये सो छिन्न भिन्न हो गये यहां ला कि दो एकटे न थे॥ १२ । तब लोग ममूएल से बोले कि किस ने कहा है कि क्या साजल हम पर राज्य करेगा उन लोगों को लाओ जिसने हम उन्हें वधन करें। १३। तब माजल बोला कि अाज के दिन कोई ननुश्य मारा न जायगा इस लिये कि आज के दिन परमेश्वर ने दूसराएल को बचाया ॥ १४ । तब समूएल ने लोगों को कहा कि आओ जिलजाल को जावें और राज्य को दोहरावे । १५। तब सारे लोग जिलजाल को गये और जिलजाल में परमेश्वर के आगे उन्हां ने माऊल को राजा किया और वहां उन्हों ने कुशल को भेंटों को परमेश्वर के आगे बलि किया और वहां साजल ने और सारे दूसराएल के समस्त जनों ने बड़ा आनंद किया। कहा १२ वारहवां पई॥ ब समूएल ने सारे इमराएल से कहा कि देखो जो कुछ तुम ने मुझे ता मैं ने तुम्हारी हर एक बात मानो और एक को तुम पर राजा किया॥ २। और अब देखा राजा तुम्हारे आगे आगे जाता है और में हड्स और मेरा बाल पक गया और देखा मेरे बेटे तुम्हारे साथ और में लड़काई से अाज लो तुम्हारे ग्रागे भागे चला। ३। देखो मैं यहां ह सो आयो परमेश्वर के और उस के अभिषिक्त के आम मुझ पर मा नौ दो कि मैं ने किस कर बैत निया अथवा किस का गदहा मैं ने रख छोड़ा अथवा मैं ने किसे कूला अथवा किस पर मैं ने अंधेर किया घयवा किस के हाथ से में ने चूम लिया कि उसे अपनी अांख मूंहूं और मैं तम्ह फेर देगा। ४ । चार वे बोले कि त ने हमें न कला न हम पर अंधेर किया और न तू ने किसी के हाथ से कुछ लिया ॥ ५ । तब उस ने उन्हें कहा कि परमेश्वर नुन पर मानी और उस का अभिषिक्त श्राज साधी है कि मेरे 2