पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५६५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

. की ५ पुस्तक ५५७ नरसिंगा फूंका कि इवरानी सुन । ४। और मारे इसराएलियों ने यह ममाचार सुना कि साऊल ने फिलिस्त्रियों के थाने का मारा और इसराएल भौ फिनिस्तियों से विनित हुए और लोग साजल के पास जिन्नजाल में एकड़े बुलाये गये। ५। और फ़िलिस्ती इसराएल से लड़ने को एकटे हुए तोम सहस रथ और कः महख घोड़चढ़े और लोग समुद को बालू की नाई समूह चढ़ आये मिकमास में बैतअवन की ओर डेरा किया॥ ६। जब इस राएन्न के मनुष्यों ने देखा कि हम मकेती में हैं क्योंकि लोग दुःखी थे तब लोग अाके खेोहों में और झाड़ों में और पहाडा में और ऊंचे ऊंचे स्थाना में और गड़हियों में जा छिपे । और इचरानी यरदन के पार जद और जिलिअद के देश को गये और साऊल तो अब लेां जिलजाल ही में था और समस्त लोग उम के पीछे पीके थर्थराते गये और वहां समूएन के ठहराने के ममान सात दिन लो ठहरा रहा परंतु समूएल जिसजाल में न आया और क्षण उस के पास से विथरे य॥ । तब साऊल ने कहा कि होम को भेट और कुशल की भेट मुझ पास लाखो और उस ने होम की भेंट चढ़ाई । २। और ऐमा हुआ कि ज्यो हौं वुह होम की भेंट चढ़ा चुका त्योंही समएल आ पहुंचा और माऊल उसे मिलने को बाहर निकला कि उसे धन्यबाद करे। ११॥ और समूएल ने पहा कि तूने क्या किया नव माऊल बोला कि जब मैं ने देखा कि लोग मुझ से विधर गये और तू ठहराये हुए दिनों के भीतर न आ पहुंचा और फिलिस्तो गिकमास में एकट्ट हुए। १२। तब मैं ने कहा कि फिलिम्ती जिलजाल में मुझ पर आ पड़ेंगे और में ने परमेश्वर की प्रार्थना किई इस लिये मैं ने सकेती से होम की भेंट चढ़ाई। १३ । नव समूएल ने साजल को कहा कि त ने महता किई है त ने परमेश्वर अपने ईश्वर की प्राज्ञा को जो उस ने तुझ दिई पान न न किया क्योंकि परमेश्वर अब तेरा राज्य इसराएल पर सदा स्थिर करना॥ १४ । परंतु अब तेरा राज्य बना न रहेगा क्योंकि परमेश्वर ने एक जन को अपने मन के समान खोजा है और परमेश्वर ने उसे अाज्ञा किई कि उम के लोगों का प्रधान होवे इस लिये कि तू ने परगेश्वर की अाज्ञा को पालन न किया ॥ १५ । और समूएल