पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५६९

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कौ १ पुस्तक। और साऊल २४ पन्ने] जो उन्हों ने पाई मनमंता खाते क्या फिलिस्ती अधिक मारे न जाने । ३१ । और उन्हों ने उस दिन मिकमास से लेके ऐयलन लो फिनिस्तियों को मास और लोग निपट थक गये ॥ ३२ । और लर पर गिरे और भेड़ और बैल और बछड़े पकड़े और उन्हें मार मार लोह समेत खा गये । ३३। तब वे माउस से कह के बोले कि देख लोन समेत खाके लोग परमेश्वर के अपराधी होते हैं वुह बोला कि तुम ने पाप किया से एक बड़ा पन्यर आज मेरे साम्ने ठुलकाओ। ३४ । फिर माऊल ने कहा कि लोगों में फैल जाओ और उन से कहा कि हर एक जन अपना अपना बैल और अपनी अपनी भेड़ लायें और यहाँ मार के खायें और लोहू समेत खाके परमेश्वर के अपराधी न बनें से उस रात हर एक जन अपना अपना बैल लाया और वहीं मारा। ३५ । ने परमेश्वर के लिये एक बेदी बनाई यह पहिली वेदी है जो उस ने परमेश्वर के लिये बनाई। ३६ । फिर साजल ने कहा कि आयो रात को फिलिस्तियों के पीछे उतरें और भिनसार लों उन्हें लूटे और उन में से एक जन को न छोड़ें और वे बोले कि जो कुछ आप को अच्छा जान पड़े से करिये तब याजक बोला कि प्राओ यहां ईम्बर से मंत्र लेवें ॥ ३७॥ तब साऊल ने ईश्वर से मंत्र पूछा कि मैं फिलिस्तियों का पीछा करने को उतरा तू उन्हें इसराएल के हाथ में सौंप देगा परंतु उस ने उस दिन उसे कुछ उत्तर न दिया । ३८। तब साऊल ने कहा कि लोगों के ममस्त प्रधान यहां श्रावे और जानें और देखें कि आज कौन सा पाप हुआ है। ३६ । क्योंकि परमेश्वर के जीवन से जिम ने इसराएल को बचाया यद्यपि मेरा बेटा यूनतन भी होवे तो बुह निश्चय मारा जायगा परंतु समस्त लोगों में से किमी ने उत्तर न दिया ॥ ४.। तब उस ने सारे इसराएल से कहा कि तुम और हाओ और मैं और मेरा बेटा यूनतन दूसरी और तब लोग माजल से बाले कि जो आप भला जाने से कीजिये ॥ ४१ । और साकल ने परमेश्वर दूसराएल के ईश्वर से कहा कि ठीक चिना है और माजल और यूनतन पकड़े गये परंतु लोग निकल गये ॥ ४२१ फेर साजल ने कहा कि मेरे और मेरे बेटे यूनतन के नाम चिट्ठी डालो तब यूनतन {A. 3. S.) लोग एक 71