पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५७०

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[१५ पई ममूएल पकड़ा गया॥ ४३। तब साऊल ने यूनतन से कहा कि मुझे बता कि न ने क्या किया है और यूनतन ने उसे बताया और कहा मैं ने तो केवल ननिक मधु अपनी छड़ी की नाक से चखा था से अब देख मुझे मरना है॥ ४४। तब माऊल ने कहा कि ईश्वर ऐसा हो और उस्मे अधिक करे कि यूनतन तू निश्चय मारा जायगा ॥ ४५ । तब लोगों ने साजल को कहा कि क्या यनतन मारा जाय जिस ने इमराएल के लिये ऐसा यड़ा बचाव किया ईश्वर न करे परमेश्वर की से उस के सिर का एक बाल लो भूमि पर न गिराया जायगा क्योंकि उन ने आज ईमार के साथ कार्य किया से लोगों ने यूनतन को छुड़ा लिया जिसने युह मारा न जाय ॥ ४६। तक माऊल फिलिस्तियों का पीछा करने से थम गया और फिलिस्ती अपने स्थान को गये॥४७॥ और साऊल ने इसराएल का राज्य लिया और अपने समस्त बैरियों से हर एक और माअब के चार अमन के संतान के और अटून भी और सूबा के राजा के और फिलिस्तियों के साथ लड़ा और वुह जहां कहीं जाता था उन्हें छेड़ता था। ४८। फिर उस ने बल के साथ कार्य किया और अमालीक को मारा और इसराएलियों का लुटेरों के हाथ से छुड़ाया ॥ ४६ ! अब साजन के बेटों के नाम ये हैं यूनतन और यशुई और मलिकिसूत्र और उस की दोनों बेटियों के नाम ये हैं पहिलोठी मैरव और लहुरी मौकल । ५० । और साऊल की पत्नी का नाम अखिनुअम ने अखिमश्रज की वेरी थी और उम के सेनापति का नाम अबिनयिर था जो साऊल के चचा नैयर का बेटा घा॥ ५१ । और कीस साल का पिता और नेविर अविनैयर का पिता अविरल का बेटा था॥ ५२। और माऊल के जीवन भर फिलिस्तौ से कठिन संग्राम रहा और जब कभी साऊल किसी बलवंत को अथवा जोधा को देखना था वुह उसे अपने पास रखता था। पंदरहवां पढ़। र समूएल ने साजल को यह भी कहा कि परमेश्वर ने मुझे भेजा कि तुझे अपने दूसराएली लोगों पर राज्याभिषेक करूं से अब परमेश्वर की बातें सुन ॥ २। सेनाओं का परमेश्वर यों कहता है कि जी