पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५७१

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को १ पुस्तक। मुझे चेन है जो कुक कि अमालीक ने इसराएल से किया ये मार्ग में इन के लिये टूके में क्योंकर लगे जब वे मिस्र से चढ़ आये॥ ३ । अब तू जा और अमालीक को मार और सब कुछ जो उन का है सईया नाश कर और उन्हें मत छोड़ परंतु क्या परुष और क्या स्त्री और क्या दूध पौवक और क्या बालक और क्या बैल और क्या भेड़ और क्या ऊंट और क्या गदहे लो सब को मार डाल ॥ ४ । और साजल ने लोगों को एकट्ठा किया और तलाइम में दो लाख पैदल गिना और यहूदाह के दस सहस्र जन घे॥ ५। और साजल अमालीक के एक नगर को श्राधा और तराई में लड़ा॥ ६। और साजन ने कैनियों को कहा कि निकल जाओ अमलीकियों में से उतरो न हो कि मैं उन के साथ तुम्हें नाश करूं क्योकि तुम ने दूसराएल के समस्त संतान पर जब वे मिस्र से चढ़ आये कृपा किई से कैनी अमालीकियों में से निकल गये॥ ७। और माऊल ने अमालीकियों को हवौलः से लेके सूर लो जो मित्र के साम्ने है मारा। ८। और अमालौकियों के राजा अगाग को जौता पकड़ा और सब लोगों को खड्ग को धार से सर्वथा नाश किया। । परंतु माजल और लोगों ने अगाग को और अच्छी से अच्छी भेड़ों को और बैलों को और मोटे मोटे जीवधारियों को और मेने को और सब अच्छो वस्त को जीता रक्खा और उन्हें सर्वथा नाश न किया परंतु उन्हों ने हर एक बस्तु को जो तुच्छ और बुरी थी सवैधा नाश किया । परमेश्वर का यह बचन समूएल को पहुंचा ॥ ११ । मैं पहनाता हूं कि साजल को राजा किया क्योंकि वुह मेरे पीछे से फिर गया और मेरी आनाओं को पूर्ण न किया और समूएन उदास हुअा और रात भर परमेश्वर के आगे चिखाता रहा।। १२ । और बिहान का बड़े लड़के समूएल उठा कि माऊल से भेंट करे और समूएल से कहा गया कि माऊल करमिल को आया और देखा कि उस ने अपने लिये एक स्मरण का चिन्ह खड़ा किया और फिरा और जिलजाल को उतर गया॥ ९३। फिर समूएल माऊल पाम गया और साऊल ने उसे कहा कि तु परमेश्वर का अशीसित है में ने परमेश्वर की आना। को पूर्ण किया ॥ १४ । तब समूएल ने कहा परंतु यह भेड़ों का मिमियाना और बैल का बमाना जो मैं १०। तब