पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५७४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

समूएल चढ़ाने में यस्सी को बुला और मैं तुझे बताऊंगा कि तू क्या करेगा और जिस का नाम मैं तेरे आगे लेऊ तू उसे मेरे लिये अभिषेक कर ॥ ४ ॥ और जो परमेश्वर ने उसे कहा समूएल ने किया और बैतलहम को आया तब नगर के प्राचीन उम के आने से कांप गये और बेरले कि त कुशल से जाना है। ५ । और घुह बोला कि कुशल से मैं परमेश्वर के लिये बलि करने आया हूं तुम आप को पवित्र करो और मेरे साथ बलि करने के लिये आया और उस ने यस्मौ को उम के बेरो सहित पवित्र किया और उन्हें बलि करने को बुलाया ॥ ६ । और ऐसा हुआ कि जब वे पाये तो उम ने इलिअब पर दृष्टि किई और बोला कि निश्चय परमेश्वर का अभिषिक्त उस के आगे है॥ ७१ परंतु परमेश्वर ने समूएल से कहा कि उस के खरूप पर और उम के डौल की ऊंचाई पर दृष्टि न कर इस कारण कि मैं ने उसे नाह किया कि परमेश्वर मनुष्य के समान नहीं देखना क्योकि मनुष्य बाहरी रूप देखता है परंतु परमेश्वर अंतःकरण पर दृष्टि करता है॥ ८। तब यस्शी ने अविनदाब को बुलाया और उसे सभूएल के आगे चलाया बुह बोला कि परमेश्वर ने इसे भी नहीं चुना ॥ ८ । फिर यशो ने मम्मः को आगे चलाया और वुह बोला कि परमेश्वर ने इसे भी नहीं चुना ॥ १० । फिर यत्रो ने अपने सातों बेटे को समूएल के सामने किया से समएल ने यमी को कहा कि परमेश्वर ने इन्हें भी नहीं चुना॥ ११। और समूएल ने यमो से कहा कि तेरे सब बेटे येही हैं वह बोला कि सबसे छोटा रह गया है और देख बुह भेड़ चराता है से समूएन ने यरसी को कहा कि उसे भेज के मंगवा क्येांकि जब लो वुह यहां न आवे हम न बैठेंगे ॥ १२ । और धुह भेज के उसे भीतर लाया वुह लाल रङ्ग और सुंदर नेत्र देखने में अच्छा था तन परमेश्वर ने कहा कि उठ के उसे अभिषेक कर क्योकि यही है। १३। तब समूएल ने तेल का सोंग लिया और उसे उस के भाइयों के मध्य में अभिषेक किया और परमेश्वर का आत्मा उस दिन से आगे लेो दाजद पर उतरा और समूएल उठ के रामान को चला गया ॥ १५ । परंतु परमेश्वर का आत्मा साजल से जाता रहा और परमेश्वर की ओर से एक दुष्ट आत्मा उसे सताने लगा॥ १५ ॥ तब साजल के सेवकों ने उसे कहा कि देखिये अब एक दुष्ट आत्मा ईश्वर