पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५७५

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२७ पर्च की १ पुस्तक । की ओर से अाप को मताता है।। १६ । से। अब हमारे मभु अपने सेवकों को जो आप के आगे हैं आना कीजिये कि एक जन ऐमा खाजें जो सारंगी बजाने में निपुण हो और यों होगा कि जव दुष्ट आत्मा ईश्वर से आप पर चढ़े तब बुह अपने हाथ से बजावेगा और आप अच्छे होंगे। १७। और साऊल ने अपने सेवकों से कहा कि अब मेरे लिये अच्छा बजनिया ठहराया और उसे मुझ पाम ला॥ १८। तब उस के दासों में से एक ने उत्तर दे के कहा कि देख मैं ने बैनल हमी यही का एक बेटा देखा जो वजाने में निपुण है और वृह जन मामर्थी बीर है और वुह लड़ाक और बचन में चतुर और देखने में सुंदर है और परमेश्वर उस के साथ है। २४ । तव साजल ने यरमी पास दूत भेज के कहा कि अपने बेटे दाजद को जो भेड़ों के संग है मुझ पान भेज ॥ २० । सेो यसो ने एक गदहा रोटी लिई और एक कुप्पा मदिरा और बकरी का मेम्ना लिया और अपने बेटे दाऊद को दिया कि साजल के लिये ले जाय॥ तो दाजद साजन पास आया और उस के आगे खड़ा हुआ और उस ने उसे बहुत प्यार किया और वुह उस का अस्त्रधारी हुअा ॥ २२॥ और साफल ने यस्मी को कहला भेजा कि कृपा करके दाजद को मेरे आगे रहने दीजिये क्योंकि बुह मेरे मन में भाया है। २३ । और ऐसा हुअा कि जब ईश्वर से प्रात्मा साजल पर चढ़ता था तब दाजद सारंगी लेके हाथ से वजाता था और साजन मंतुष्ट होके अच्छा होता था और दुष्ट आत्मा उस पर से उतर जाता था। २७ सत्तरहवा पर्व । ने युद्ध के लिये अपनी सेनाओं को यहूदाह के शोकः में एकट्ठी किया और शोकः और अजीकः के मध्य दमिम के सिवाने में डेरा किया। २। और माजल और दूसराएल के मनथ्यों ने एकटे हेाके ईला की तराई में डेरा किया और युद्ध के लिये फिलिस्तियों के मन्मुख पांनी बांधी। ३ । और फिलिस्ती एक और पहाड़ पर खड़े हुए और दूसरी ओर एक पहाड़ पर इसराएल और उन दोनों के मध्य में तराई थी। ४। शेर फिलिस्ती की सेना से एक महा बीर जो जयत के