पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५८१

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कौ १ पुस्तक । १८ पब्बे] ५७३ को लक रकवा ॥ १.। और दूसरे दिन एमा हुआ कि ईम्पर की और दुष्ट आत्मा साऊल पर उतरा और वुह अपने घर में भविष्य कहने लगा और दाजद प्रागे को नाई हाथ से बजाने लगा और साऊल के हाथ में एक सांग थी॥ ११। तब साऊल ने सांग फेकी क्योंकि उस ने कहा कि दाऊद को भीत ही में गोदंगा पर दाजद दो बार उस के धागे से वच निकला। और माऊल दाजद से डरा करता था इस कारण कि परमेश्वर उस के माथ था और साजल से जाता रहा। १३ । इस लिये माऊल ने उसे अपने पास से अलग किया और सहस का प्रधान किया और बुह लोगों के आगे अाया जाया करता था। १४। और दाजद अपने सारे मार्ग में बुद्धिमान था और परमेश्वर उम के साथ था ॥ १५ । दूस लिये जब साऊल ने देखा कि बुह अनि बुद्धिमान है तब बुह उसे डरता था। १६। पर मारे इसराएल और यहूदाह दाऊद को चाहते थे इस लिये कि बुह उन के आगे आया जाया करता था। १७। तब साऊल ने दाऊद को कहा कि मेरी बड़ी बेटी मैरव को देख मैं उसे तुझे बियाह देगा केवल त मेरे लिये बली पुत्र हो और परमेश्वर का संग्राम किया कर क्योंकि साजल ने कहा कि मेरा हाथ उस पर न पड़े परंतु फिलिस्तियों का हाथ उस पर पड़े ॥ १८॥ तब दाऊद ने माऊल से कहा कि मैं कौन और मेरा प्राण क्या और इसराएल में मेरे पिता का घराना क्या जो में राजा का जवाई हं॥ १८ । परंत यो हुआ कि जब माऊल की बेटी मैरव को दाजद के देने का समय आया तब बुह महुलती अरिऐल से वियाही गई ॥ साजल की बेटी मौकल दाऊद से प्रौति रखती थी और उन्हों ने साजल से कहा और वह उस की दृष्टि में अच्छी लगौ ॥ २१। तब साऊल ने कहा कि मैं उसे उम को देऊंगा जिमने वुह उस के लिये फंदा होवे और जिसने फिलिस्तियों का हाथ उस पर पड़े इस लिये साजल ने द जद से कहा कि तू आज इन दोनों में से गेरा जवाई होगा ॥ २२। और साजल ने अपने सेवकों का आज्ञा किई कि दाजद से गुप्त में बात चीत करो और कहे। कि देख राजा तुझा २० । और