पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५८३

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४। और और बहनतन १८ पबै] को १ पुस्तक। ने दाऊद के विषय में अपने पिता साऊन से अच्छो कही कि राजा अपने दाम दाऊद मे बुराई न कीजिये इस कारण कि उस ने अाप का कुछ अपराध नहीं किया और इस कारण कि उस के कर्म आप के लिये अति उरम हैं ॥ ५। क्योंकि उस ने अपना प्रेण हथेली पर रकता और उस फिलिस्ती को घात किया और परमेश्वर ने मारे इसराएन के लिये बड़ी भक्ति दिई और आप ने देखा और आनंद हुए मो आप किम लिये निर्दोष से बुराई किया चाहते हैं और अकारण दाजद को मारा चाहते हैं।। ६ । और साजन ने पहनत न की बात सुनी और साजन ने किरिया खाई कि ईश्वर के जीवन से हाजन मारा न जायगा। ७। और यहून नन ने दाऊद को बलाया और सारी बातें उसे बताई और यहूनतन दाजद को साकल पास लाया और कल परसे के समान फेर उस के पास रहने लगा। ८। और फिर लड़ाई हुई और दाऊद निकला और फिलिस्तियों से स्नड़ा और बड़ी मार से उन्हें मारा और वे उम के आगे से भागे । । और ज्यों माऊल अपने घर में एक सांग हाथ में लिये हुए बैठा था परमेश्वर की ओर से दुष्ट आत्मा उस पर उतरा और दाजद हाथ से २.। और ने चाहा कि दाऊद को भीत में मांग से गोद दे ये परंतु दाऊद साजल के आम से अन्नग हो गया और मांग भीत में जा लगी और दाजद भाग के उस रात बच गया ॥ ११ ॥ तब माऊल ने दाऊद के घर पर दूत को भेजा कि उसे अंगारें और बिहान को उसे मार डालें तब दाऊद की पत्नी नौकल यह कहके उसे बोली कि यदि आज रात तू अपना प्राण न बचावे तो बिहान का मारा बजा रहा था। साजन ने जायगा। १२ । नब मौकन्न ने खिड़की में से दाऊद को उतार दिया और वह भाग के बच गया। १३ । चार मीकल ने एक पुताना लेके बिकाने पर रकवा और बकरियों के रोम को तकिया उम के सिर तले रक्सी और कपड़ा मे ढांप दिया। १४ । और जब माऊल ने दाऊद को पकड़ने को टून भेजे तब घुह बोली कि वुह रोगी है । १५। और ने यह कहके हतों को दाऊद के। देखने भेजा कि उसे खाट महिन मुझ साजन