पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५८५

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२० पञ्च की पुस्तक । बोला कि ऐसा न हेरवे तू मारा न जायगा देख मेरा पिता बिना मुझ पर प्रगट किये कोई छाटो बड़ी बात न करेगा और यह बात किस कारण से मेरा पिता मुझ से छिपावे यह नहीं । ३। तब दाऊद ने फिर किरिया खाके कहा कि तेरा पिता निश्चय जानता है कि मैं ने तेरी दृष्टि में अनुग्रह पाया है और वह कहता है कि यहूनतन यह न जाने न हो कि बुद्द शोकिन हो परंतु परमेश्वर से और तेरे जीवन से मुझ में और मृत्यु में केवल अंग भर का अन्नर है। । नब यहून तन ने दाजद से कहा कि जो कुछ तेरा जो चाहे में मेरे लिये करूंगा। ५ । और दाजद ने यहूनतन से कहा कि देख कल अमावाश्या है और मुझे उचित है कि राजा के साथ भाजन करूं से मुझे जाने दीजिये कि मैं नासरी सांझ लों खेत में जा कि। ६। यदि तेरा पिता मेरो खाज करे तो कहियो कि दाऊद यत्न से मुझे पूछ के अपने नगर बैत लहम को दौड़ गया क्योंकि समस्त घराने के लिये बरसयन का बलिदान है। ७। यदि वुह यों बोले कि अच्छा तो तेरे सेवक के लिये कुशल है परंतु यदि बुह अति क्रोध को तो निश्चय जानिया कि उस के मन में बुराई है। ८। इस कारण अपने सेवक पर दया से व्यवहार कीजिया क्योंकि त अपने दास को अपने माथ परमेश्वर की वाचा में लाया है तथापि यदि मुझ में अपराध है।वे तो तू मुझे बधन कर किस कारण मुझे अपने पिता पास ले जायगा । । तब यहूनतन ने कहा कि तुझ से दूर होवे क्योकि यदि में निश्चय जानना कि मेरे पिता ने ठाना है कि तेरी बुराई करे तो क्या मैं तुझ न ५.। फिर दाऊद ने यहननन से कहा कि कौन मुझे कहेगा अथवा क्या जाने तेरा पिता तुझे चुरक के कहे॥ ११। तब यहननन मे दाजद से कहा कि प्रा खेत में चल से वे दोनों खेत को गये ॥ १२॥ और यहननन ने दाजद से कहा कि जब मैं कल अथवा परसे अपने पिता को बूझ लेऊ और देखा कि दाऊद के विषय में भला है और भज के तुझे न बताऊं हे परमेश्वर दूसराएल के ईम्पर॥ ९३ । तो परमेश्वरा ऐसा ही और दूससे अधिक यहनतन से करे और यदि तेरी बुराई करने को मेरे पिता की इच्छा होवे तो मैं तुझे बनाऊंगा और तुझे विदा करूंगा कि तू कशान से चला जाय और जैसा परमेश्वर मेरे पिता के साथ हुन्छ [A. B.S. 73