पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५८६

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समूएल [२. पन्द है बैसा तेरे साथ होवे। १४ । गौर न केवल मेरे जीवन लो परमेश्वर की कृपा मुझ न दिखाइयो जिसन मैं न मरूं ॥ १५ । परंतु जब परमेश्वर दाऊद के हर एक शव को प्रथिवी पर से नाश करे तो मेरे घरानों पर से भी अनग्रह उठा न लीजियो॥ १६ । सेो यहूनतन ने दाऊद के घराने से याचा बांधी और कहा कि परमेशर दाऊद के शबुन के हाथ से पला लेवे ॥ १७। और यहूनतन ने दाजद से फिर किरिया खिलाई इस लिये कि वह उसने अपने प्राण ही के तुल्य प्रेम रखता था ॥ १८। तब यहून तन ने दाजद से कहा कि कल अमावाश्या और तेरी खाज होगी इस कारण कि तेरा अासन सूना रहेगा। १६। और जब तू तीन दिन अलग रहे तब तू शोध उतर के उमौ स्थान में जाइया जहा त ने आप को कार्य के दिन छिपाया था और न असल के चटान पार रहियो॥ २०॥ और मैं उम् अलंग तीन बर मारूंगा जैसा कि चिम्ह मारता हूँ। २१ । और देख मैं यह कहके एक छोकरे को भेजूंगा कि जा बाणा को खोज यदि मैं निश्चय छाकरे केर कहं कि देख बाण तेरे इस अलंग हैं उन्हें ले तब निकल भाइयो क्योंकि परमेश्वर के जोवन से तरे लिय कुशल है और कुछ नहीं॥ २२। पर यदि मैं उम तरुण से कहूं कि देख बाण तेरे भागे हैं नब तू मार्ग लौजिया क्योंकि परमेश्वर ने तुझे विदा किया है ॥ २३। र हो यह बात जो अापुस में ठहराई है से देख परमेश्वर सदर मेरे और तेरे मध्य में है। २४ । से दाऊद खेत में जा छिपा और जब अमावाश्या हुई तब राजा भोजन पर बैठर॥ और राजा अपने व्यवहार के समान भौत के लग अपने आसन पर वैठा और यहमनन उठा और अबिने यिर माऊल की एक अलंग में बेटा था और दाऊद का स्थान सूना था ॥ २६ । तथापि उस दिन साजल कुछ न कहा क्योंकि उस ने समझा था कि उस पर कुछ बौता है अपवित्र होगा निश्चय वह अपावन होगा॥ २७। और विहान को माम की दूसरी तिथि को ऐसा था कि दाऊद का स्थान सूना र हातम साजल ने अपने बेटे यहूनतन से कहा कि किस कारण यस्मी का बेटा कल और आज भाजन को नहीं आया है। २८। तब यहन तन ने माऊल को उन्नर दिया कि दाऊद मुझ से पूछ के बैतलहम को गया । २५॥