पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५८७

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की पुस्तके २६ । और उस ने कहा कि मुझे जाने दे कि नगर में हमारे घराने में बलि है और मेरे भाई ने मझ बलाया है यदि मैं ने तेरौ दृष्टि में अनुग्रह पाया है तो मुझे जाने दे कि अपने भाइयों को देखं दूम लिये वुह राजा के भोजन पर नहीं आता। ३० तब साजन का कोप यहमतन पर भड़का और उस ने उसे कहा कि हे ढीठ और दंगदत के पुत्र क्या मैं नहीं जानता कि त ने अपनी लज्जा के लिये और अपनी माता की नगापन की लज्जा के लिये यस्सो के बेटे को चुना है। ३१ । क्योंकि जब लो यस्मी का बरा भूमि पर जोता है तब ले त और तेरा राज्य स्थिर न होगा सेो अब भेज के उसे मुझ पास ला क्योंकि वुह निसय मारा जायगा। ३२। तब यहनतन ने अपने पिता को उत्तर देके कहा कि किम कारण मारा जायमा लस ने क्या किया है। ३३ । वव माजल ने मारने को उस की ओर सांग फेंको उरमे यहूमतम को निश्चय हुआ कि उम के पिता ने दाजद के मारने को उाना है। ३४। सेो यहून तन बहन रिमिया के मंच से उठ गया और मास की टूसरी तिथि में भोजन न किया ज्योकि बुह दाऊद के लिये निपट उदास हुआ क्योकि उस के पिता ने उसे लज्जित किया। ३५ । और बिहान को यहूनतन उसी ममय जो दाकद से ठहराया था खेत को गया और एक छोकरा उस के साथ था॥ ३६ । और उस ने उसे अाज्ञा किई कि दौड़ और जा बाण में चलाता है उन्हें ढूंढ़ और ज्यांही बुह दौड़ा व्याही एक बाण उस के परे मारा॥ ३७। और जब बुह छोकरा उस स्थान में पहुंचा जहां यह न तन ने बाण मारा था तब यह न तन ने छोकरे को पुकार के कहा कि क्या युह वाण तुझ से परे नहीं ॥ ३८। और यहूननन ने छोकरे को पकारा कि चटक कर और उहर मत से। यहूनतन के कोकरे ने वाणे के एकट्ठा किया और अपने स्वामी पास पाया। ३६। परंतु उस छोकरे ने कुछ न जाना केवल दाजद और यहूनमन उम का भेद जानते थे। ४०। फिर यहनन ने अपने हथियार उस छोकरे को दिये और कहा कि नगर में ले जा ॥ ४१। छोकरे के जाने के पीछ दाजद दक्विन की ओर से निकला और भमि पर अौधे मेंह गिरा और तीन बार दंडयात किई, और उन्हों ने प्रापुर में एक दूसरे को