पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५८९

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२२ पर्ब कौ ३ पुस्तका ५ ले क्योंकि उसे छोड़ यहां टूसरा नहीं तबदाकद बोला कि उस के तुल्य दूसरा नहीं वही मुझे दे। १०। चार दाजद उठा और साजल के सन्मुख से उसी दिन भागा चला गया और जनन के राजा अकीम पास आया ॥ ११। तब अकौम के सेवकों ने उसे कहा कि क्या यह दाऊद उस देश का राजा नहीं और क्या यह वही नहीं जिस के विषय में वे आपस में गा गाके चोर नाच नाचके कहती घौ कि साजल ने अपने सहसां को मारा और दाजद ने अपने दस सहसों को ॥ १२ । और दाऊद ने ये बात अपने मन में जुगा रकी और जबत के राजा अकौस से अति डरा॥ १३ । तब उस ने उन के आगे अपनी चाल पलर डाली और उन में आप को बोइहा बनाया और फाटक के द्वारो पर न कौर खौं चने लगा और अपनी लार को दाढ़ी में बहने दिया ॥ १४। तब अक्रोम ने अपने सेवकों से कहा कि ले यह जन तो सिड़ी है तुम उसे मुझ पास क्यों लाये ॥ १५ । क्या मुझे सिडी का प्रयोजन है कि तुम इसे मुझ पास लाये कि मिडीपन करे क्या यह मेरे घर में आवेगा। ॥ २२ बाईसा पब । सनिये दाऊद वहां से निकल के भागा और अदलाम की कंदला इमें गया और उस के भाई और उसके पिता का सारा धराना यह मुन के उस पास वहां गये॥ २। और हर एक दुःसौ और ऋणो और उदासी उम के पास एकट्ट हुए और वुह उन का मधान हुश्रा और उस के साथ चार सौ मनुष्य के लगभग हो गये ३। और वहां से दाऊद मानब के मिसफा को गया और मानव के राजा से कहा कि मैं तेरी बिनती करता हूं कि मेरे माता पिता निकल के अाप के पास रहें जबलों में जाने कि ईभर मेरे लिय क्या करता है। बुह उन्हें माअब के राजा के आगे लाया और जब लो दाऊद ने अपने नई दृढ़ स्थानों में छिपाया था चे उसी के साथ रहे। ५ । तब जद आगमज्ञानी ने दाऊद को कहा कि दृढ स्थानों में मत रह यदाह के देश को जा तब हाजद चना और हारित के बन में पहुंचा ॥ ६। और जब ४। और