पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५९४

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५८६ ओ २४ चौबीसवां पई। पर दाद वहा से चल के अनमदी के दृढ स्थानों में जा रहा ॥ २। और या हुअा कि जब साकल फिलिस्तियों के पोहे से फिरा तब उसे कहा गया कि देख दाऊद अनगदी के अरण्य में है । नब माजल समस्त इमराएली में से तीन सहस्र चुने हुए पुरुष ले के दाऊद को और उस के लोगों की खोज को बनैली बकरियों के पहाड़ों पर गया ॥ ४। तब बुह मार्ग के भेडशाला में पाया जहां एक खोह धी और साजन्न उम खाह में अपने पांच दाबने और लेटने के लिये गया और दाकद और उन के लोग खाह की अलंगों में रहे। ५ । और दाऊद के लोगों ने उसे कहा कि देखिये यह बुह दिन है जिम के विषय में परमेश्वर ने श्राप को कहा था कि देख मैं तेरे शत्रु को तेरे हाथ में सागा जिसने नू अपनी बांका के समान उहो करे तब दाऊद उठा और चुपके से साकत के वस्त्र का खूट काट लिया। ६। और उस के पीछे यों हुआ कि दाजह के मन में खटका हुआ इस कारण कि उस ने साजल का खंट ७। और उस ने अपने लेागों में कहा कि परमेश्वर न करे कि मैं अपने लामो पर जो परमेश्वर का अभिषिक्ता है ऐसा करूं कि अपना हाथ उम पर बढ़ाऊं क्योंकि वह परमेश्वर का अभिषिक्त है।८। से दाजद ने इन बातों में अपने लोगों को रोक रकला और उन्हें माऊल पर हाथ चलाने न दिया परंतु माजल ने खोह से निकल के अपना गार्ग लिया। है। और के पोंछ दाजद भी उठा और उस खोह से बाहर अाया यौर माऊल से यह कह के पुकारा कि इ मेरे खामो राजा और जब साजन ने पीछे फिर के देखा तब दाजद ने भूमि पर झुक के दंडवत किई १.। और दाऊद ने साजल मे कहा कि लोगों की ये बाने आप क्यों सुनते हैं कि देखिये दाऊद आप को बुराई चाहता है। देखिये अाज ही के दिन याय ने अपनी आंखों से देखा कि परमेश्वर में आज आप को खोह में मेरे हाथ में मौप दिया और कितनों ने आप को मारने कहा परतु में ने आप को छोड़ा और अपने मन में विचारा कि अपने स्वामी पर अपना हाथ न बढ़ाऊंगा क्योंकि बुह परमेर का C. काटा। उस