पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६०१

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दाजद ने और उस की १ पुस्तक । दूर जा खडा हुआ और उन में बड़ा बीच था। और लोगों को और नैयिर के बेटे अबिनै यिर को पुकार के कहा कि हे अविन- यिरत उत्तर नहीं देता तब अविनैथिर ने उत्तर देके कहा कि तू कौन है जो राजा को पुकारता है। १५ । तब दाजद ने अबिनयिर से कहा कि क्या त बलवंत नहीं और इमराएल में तेरे समान कौन से किस लिये तू ने अपने प्रभ राजा की रक्षा न किई, क्योंकि लेागों में से एक जन तेरे प्रभु राजा के मारने को निकला था। १६ । सेतू ने यह काम कुछ अच्छा न किया परमेश्वर के जीवन से तुम मार डालने के योग्य हे। इम कारण कि तुम ने अपने खामी की जो परमेश्वर का अभिषिक्त है रक्षा न किई और अब देख कि राजा का भाता और पानी की भारी जो उस के सिरहाने थौ कहां है। १७। तब माऊल ने दाऊद का शब्द पहि. चाना और कहा कि हे मेरे बेटे दाजद यह तेरा शब्द है तब दाऊद बोला कि हे मेरे प्रभ हे राजा यह मेरा ही शब्द । १८१ ने कहा कि मेरे प्रभु क्यों दूम रीति से अपने दाम के पीछे पड़े हैं क्योंकि मैं ने किया और मेरे हाथ से क्या पाप हुश्रा॥ १६ । सेो अब मैं श्राप की बिनती करता हू हे मेरे प्रभु राजा अपने सेवक की बातों पर कान धरिये यदि परमेश्वर ने मुझ पर आप को उभाड़ा है तो बुह भेट ग्रहण करे परंतु यदि यह मनुष्य के बंश से है तो परमेार का नाप उन पर पड़े क्योंकि उन्हों ने आज मुझे परमेश्वर के अधिकार से यह कहके हांक दिया है कि जा उपरी देवतों की सेवा कर । २०। इस लिये अब परमेश्वर के आगे मेरा लोहू भूमि पर ग बहे क्योंकि इसराएल का राजा एक पिम्स की खोज कर निकला है जैसा कोई तीतर के अहेर को पहाड़ी पर निकलता है। २१। तब माऊल ने कहा कि मैंने पाप किया हे मेरे बेटे दाजद फिर था क्योंकि फेर तुझे न सताऊंगा इस लिये कि मेरा मारा आज के दिन तेरी दृष्टि में बहुमूल्य ऊत्रा देख में ने मूढ़ता और अति चूक किई॥ २२। तब दाऊद ने उत्तर देके कहा की देख यह राजा का भान्ना है सो तरुणे में से एक आके इसे ले जावे ।। २३ । परमेश्वर हर जन को उन के धर्म का और मचाई का प्रतिफल देवे क्योंकि परमेश्वर ने आज आप को मेरे हाथ में सांप दिया पर मैं ने न A. RS.] क्या मूढ़ता किई