पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६०२

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समएल (२७ पर्च चाहा कि परमेश्वर के अभिषिक्त पर हाथ बढ़ाऊं ॥ २४ । और देख जिस रोति से आए का प्राण मेरी आंखों में आज के दिन प्रिय हुआ वैसा ही मेरा प्राण ईश्वर की दृष्टि में प्रिय होने और वह मुझे सब कष्टां से बचारे ॥ २५ । नब साऊल ने दाऊद से कहा कि न धन्य है हे मेरे बेटे दाजद नू महा कार्य करेगा और नदी तू भाग्यवान होगा मे दाऊद से अपना मार्ग लिया और माऊल अपने स्थान को फिरा। और २७ सत्ताईमवां पढ़। पर दाऊद ने अपने मन में कहा कि अब मैं किसी दिन भाऊल के हाथ से मारा जाजंगा से मेरे लिये इस्म अच्छा कुछ नहीं कि मैं शीघ्रता से भाग के फिलिस्तियों के देश में जा रहूं और माजल इमराएल के सिवानों में मुझे खाजने से निरास हो जायगा यों मैं उम के हाथ से बच जाऊंगा। २। तब दाजद अपने साथ के छ: सौ तरुणां को लेके जअत के राजा मऊक के बेटे अकोश की ओर गया। ३। और दाजद अपने लोगों के साथ जिन में से हर एक अपने घराने समेत था अपनी दोनों स्त्री अखिनुअम का जो यजरअएली थी और करमिनी अबिजैल को जा नबाल की पत्नी थी लेके जयत में अक्रोश के साथ रहा ॥ और साऊल को संदेश पहुंचा कि दाजद जअत को भाग गया तब उस ने फिर उस का पीछा न किया॥ ५। और दाऊद ने कौश से कहा कि यदि मैं ने आप की दृष्टि में अनुग्रह पाया है तो वे इस देश में मुझे किसी बस्ती में स्थान देवें जहां मैं ब क्योंकि आप का दाम क्रिस लिय श्राप के राज्य नगर में रहे । ६। तब अकौश ने उस दिन सिकलाज उसे दिया इस लिये निकलाज आज के दिन ले यहूदाह के राजाओं के बश में है। । औरर दाऊद फिनिस्तियों के देश में एक बरस चार नाम ले रहा। भार दाजद ने अपने लोगों को लेके जसूरी और जरिजी और अमालीकियां को घेर लिया क्योंकि वे जरूर के सिवाने से लेके मिस के सिवाने लो आग से बने थे। ने देश को नष्ट किया और न पुरुष को न स्त्री को जीता छोड़ा और उन फेड और ढोर और गदहे और ऊंट और कपड़े लिये और कौश । और दाऊद