पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६०६

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(३० पर्व तू समएल स्थान को जो ने उसे दिया है फिर जाय और हमारे साथ युड्ड में न उतरे क्या जाने युद्ध में त्रुह हमारा वैरी होवे क्यों कि बुह अपने खामी से किस बात से मेल करेगा क्या इन लोगों के सिरों से नहीं। ५। क्या यह बही दाजद नहीं जिस के विषय में वे नाचती हुई गाती थों कि साजल ने तो अपने सहनों को मारा और दाजद ने अपने दस सहसों को। ६। तब अकोश ने ६ ने दाऊद का बुलाया और उसे कहा कि निश्चय परमेश्वर के जीवन से तू खरा है तेरा आना जाना सेना में मेरे साथ मेरी दृष्टि में अच्छा है क्यांकि जिस दिन से तू मुझ पास आया मैं ने आज ले में कुछ बुराई नहीं पाई तथापि अध्यक्षा की दृष्टि में न अच्छा नहीं। 1 से अब फिर और ७ । सेर अब फिर और कुशल से चला जा और फिलिस्तियों के अध्यक्षां की दृष्टि में बुराई, न कर। ८। परंतु दाऊद ने अकीश से कहा कि मैंने क्या किया है और जब से में आप के साथ रहा और आज लो आप ने अपने सेवक में क्या पाया कि मैं अपने प्रभ राजा के बैरियों से लड़ाई न कह ।। < सब अकीश ने द जद का उत्तर दिया कि मैं जानता हूं और तू मेरी दृष्टि में ईश्वर के दूत के समान है परंतु फिलिस्ती के अध्यक्षों ने कहा है कि वह हमारे साथ युद्ध में न जाय। १० । से अब बिहान को तड़के अपने खामी के दास समेत जो तेरे साथ यहां छाये हैं उठ के शौच तड़के चले जाइये ॥ ११। तब दाऊद अपने लोगों सहित तड़के उठा कि प्रातःकाल को वहां से चल के फिलिस्तियों के देश को फिर जाय और फिलिस्ती यज़रअरेल को चढ़ गये। ३० नीसा पढ़। र ऐसा हुआ कि जब दाजद और उस के लोग तीसरे दिन सिकलाज में पहुंचे क्योंकि अमालीको दक्षिण दिशा से सिकलाज पर चढ़ आये थे और उन्हों ने सिकलाज को मारा और उसे आग से फंक दिया। २! और उस में की स्त्रियों को पकड़ लिया पर उन्हों ने छोटी बड़ी को न मारा परंतु उन्हें लेके अपने मार्ग चले गये। जब दाऊद और उस के लोग नगर में पहुंचे तो क्या देखते और