पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६०७

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१० पर्व कौ १ पन्तक। हैं कि नगर जना पड़ा है और उनकी पत्नियां और उन के बेटे बेटियां बंधुआई. में पकड़ी गई हैं। ४। तब हाऊट यार उस के माध के लोग चिल्लाय और बिलाप किया यहां लांकि उन में रोने की भामर्थ्य न रही। ५ । और दाजद की दोनों पत्नियां यजरअऐली अखिनुअम और करमिलो नबाल की तो अविजैन बंधुआई में पकड़ी गई । ६ । और दाजद अति दुःखी जा क्योकि लेाग उस पर पन्यरवाह करने की बातचीत करते थे दूम लिय कि उन में से हर एक अपने बेटो और बेटियों के लिये निपट उदास था पर दाजद ने परमेश्वर अपने ईश्वर से हियाब पाया ॥ ७॥ और दाऊद ने अखिमलिक के बेटे अबिस्तर याजक से कहा कि 'कृपा कर के अफूद मुझ पाम ला सेर अवियतर अफ़द दाऊद पास ले आया ॥ ८ । और दाजद ने यह कह के परमेश्वर से वूझा कि मैं इस जथा का पीछा करूं क्या मैं उन्हें जाही लंगा उस ने उत्तर दिया कि पीछा कर क्योंकि तू निझय उन्हें जाही लेगा और निःसंदेह उन्हें कुड़ावेगा । । सो दाऊद अपने माथ के छ: सौ तरुण को लेके चला और बसर के नाले लो आया और जो पीके छाड़े गये वहां पर रह गये ॥ १० ॥ पर दाऊद चार मा तरुणां से उन का पीछा किये चला गया क्योंकि दो सौ पीके रह गये थे जो एसे धक गये थे कि बसूर के नाले पार जा न सके । ११। और उन्हों ने खेत में एक मिस्त्री को पाया और उसे दाऊद पान ले आये और उसे रोटी खाने को दिई और उस ने खाई और उन्हों ने उसे पानी भी पिलाया ॥ १२ । और उन्हों ने गूलर की लिट्टी और दो गुच्छे अंगूर उसे दिये और जब वह खा चुका तब उस के जौ में जी आया क्योंकि उस ने तीन रात दिन न रोटी खाई न पानी पीया था। १३ । तब दाऊद ने उसे पता कि तू कौन और कहां का है बुह बोला कि मैं एक मिनी तरुण और एक अमालीकी का सेवक हूँ मेरा स्वामी मुझे छोड़ गया क्योकि तीन दिन हुए कि मैं रोगी हुअा।। २४। हम करीती के दक्षिण और चढ़ गये और यहूदाह के सिवाने पर और कालिब को दक्षिण और चढ़ गये थे और हम ने मिकलाज को आग से फेंक दिया ॥ १५ ॥ और दाऊद ने उसे कहा कि तू मुझे इस जथा लेो ले जा सकता है बुह बोला कि मुझ से ईअर की किरिया खाइये कि मैं तुझे प्रण से न मारूंगा और तुझे O