पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६०८

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१८ ! और जो समूएल [३. १ तेरे खामी के हाथ न माँगा तो मैं आप को इस जया लो ले जाऊंगा। १६ । जब बुह उसे वहां ले गया तो क्या देखते हैं कि वे समस्त पृथिवी पर फैले हुए खाने पीने और नाचते थे क्योंकि फिलिस्तियों के और यहूदाइ के देश से बहुत लूट लाये थे॥ १७। और दाऊद ने उन्हें गोधूली से दूसरे दिन की सांझ लो मारा और उन में से एक भी न बचा केवल चार सौ तरुण ऊंटों पर चढ़ के भाग निकले। कुछ कि अमालीको ले गये थे दाऊद ने फेर पाया और अपनी दोनों पनियों को भी दाऊद ने छुड़ाया । १६ । और उन के छोटे बड़े और बेटा बेटी और धन संपत्ति जो लूटी गई थी दाऊद ने सब फेर पाया । २.। और दाऊद ने सारे झंड और ढार ले लिये जिन्हें उन्हों ने टोरो । के आगे हांक लिया और बोले कि यह दाजद को लूट ॥ २१॥ दो सौ तरुण ऐसे थके थे जो दाऊद के माथ न जा सके थे और बसूर के नाले पर रह गये थे दाऊद उन पास फिर आया और वे दाऊद को और उस के लोगों को आगे से लेने को निकले और जब दाजद उन लोगों के पास पहुंचा तब उस ने उन का कुशल पूछा ।। २२। उस समय दुष्टों ने और कुम्मियों ने जो दाजद के साथ गये थे यह कहा कि ये लोग हमारे साथ न गये हम इन्हें इस लूट में से जो इम ने भागन देंगे केवल हर एक अपनी पत्नी और बेटा बेटी को लेके बिदा होवे ॥ २३ । तब दाजद बोला कि हे मेरे भाइयो जो कुक कि परमेश्वर ने हमें दिया है और उस ने हमें बचाया और जथा को जो हम पर चढ़ आये थे हमारे हाथ में कर दिया से तुम उस में से ऐसा न करो। न २४ । क्योंकि इस विषय में कौन तुम्हारी मुनेगा परंतु जैसा जिस का भाग युद्ध में चढ़ जाता है बैना उस का भाग होगा जो संपत्ति पान रहती है दोनों एक समान भाग पायगे २५। और ऐसा हुआ कि उस दिन से आगे यही विधि और व्यवस्था इसराएल के लिये आज के दिन से हुई॥ २६ । और जब दाऊद मिकलाज में आया उस ने में से यहूदाइ के प्राचीन और अपने मित्रों के लिये भाग भेजा और कहा कि देखो परमेश्वर के शत्रुन की लूट में से यह तुम्हारी भेंट है। २७। और जो वैतएल में और जो दक्षिण रामात में और जो जतौर पाया ॥