पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६११

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समूएल की दूसरी पुस्तक जो राजाओं को दूसरो पुस्तक कहाती है। १ पहिला पर्य। जन्म के मरने के पीछे ऐसा था कि दाऊद अमालीकियों को समाल कराया बार दो दिन सिकलाज में रहा। तीसरे दिन ऐसा हुआ कि देखो एक जन साजल की छावनी से अपने बस्त्र फाड़े हुए और सिर पर धल डाले हुए आया और दाऊद के पास पहुंच के भूमि पर गिरा और दंडवत किई ॥ ३ । तब दाऊद ने उसे कहा कि न कहां से आता है और त्रुह बोला कि इसराएल की छावनी से मैं बच निकला हूं। ४। तब दाऊद ने उरी पक्का कि क्या हुआ मुझे कह और उस ने उत्तर दिया कि लोग मंग्राम से भागे हैं और बहुत से जूझ गये हैं और माऊल और उम का बेटा यहूनतन भी मर गया है। ५ । तब उस नरुणा से जिस ने उसे कहा था दाऊद ने पूछा कि तू क्योंकर जानता है कि माऊल और उस का बेटा यहून तन मर गये है। ६ । तब उस तरुण ने उसे कहा कि मैं मयोग से जिलअ पहाड़ पर था तो क्या देखना है कि माऊल अपने भाले पर टेक रहा था और देखो कि रथ और घोड़चढ़े उम के पीछे धाये गये। और जब उस ने पौक्के फिर के मुझे देखा तब उस ने मुझे बुलाया और मैं ने उत्तर दिया कि यहीं हैं। । तब जम ने मझे कहा कि त कौन में ने उसे कहा कि मैं एक अमालीको ह। फिर उम ने ममें कहा कि मैंनेरी विनती करता हूं निकर