पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६१२

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माण अब बत किया। ६.8 ममएल खड़ा होके भुझे बधन कर क्योंकि व्याकलता ने मझे पकड़ा है कि मेरा लो मुझ में पूर्ण है। १० । सो में उस के निकट खड़ा हुआ और उसे मार डाला दूम कारण कि मझे निश्चय हुआ कि गिरने के पीछे जो न सक्ता था और मैं ने उस के सिर का मुकुट और बिज्ञायठ जा उस की भुजा पर था लिया और उन्हें अपने खामी पास इधर लाया हं १.५। तब दराजद ने अपने कपड़े को पकड़ा और उन्हें फाड़ डाला और उस के साथ के समस्त मनुष्य ने भी ऐसा ही कयिा ॥ १२। और वे साऊल और उस के बेटे यहूनतन और परमेार के लोगों और इमरापन के घराने के लिये जो तलवार से मारे पड़े थ रोये पीटे और मांझ लो २३। फिर दाऊद ने उस तरुण से जिस ने उसे संदेश पञ्चाया था पछा कि तू कहाँ का है उस ने उत्तर दिया कि में परदेशी का लड़का एक अमालीकी हूं। १४। तब दाजद ने उसे कहा कि क्या परमेश्वर के अभिषिक्त पर नाश करने को हाथ उठाते हुए न डरा ॥ १५ । फिर दाऊद ने तरुणों में से एक को बुलाया और कहा कि उस पास जाके उस पर लपक सो उस ने उसे ऐसा मारा कि वुद्ध मर गया ॥ १६ । और दाजद ने उसे कहा कि तेरा लोहू तेरे ही सिर पर क्योकि तेरे ही मूंह ने तुझ पर यह कहके साक्षी दिई कि मैं ने परमेश्वर के अभिषिक्त को घात किया। १७। और दाजद ने साजल और उस के बेटे यहनतन पर इस बिलाप से विलाप किया॥ १८। [और रस ने यह भी उन्हें अाज्ञा किई कि यहूदाह के संतान को धनुघ सिखाबें देख यशर की पुस्तक में लिखा है ॥ १६॥ कि इसराएल की सुंदरता मेरे ऊंचे स्थानों पर जूझ गई बलवंत कैसे मारे पड़े हैं ॥ २० । जगत में मत कहो और अक्कलन की सड़कों में मत प्रचारो न हो कि फिलि. सियों की बेटियां अानंद करें न हो कि अखतनों की लड़कियां जय जय करें। २१ । हे जिलबूत्र के पहाड़ोस और में ह तुम पर न पड़ें और न भेड़ों का खेत होवे क्योंकि वहां वत्सर्वन की दाल तुच्छता से फेंकी गई माऊल की ढाल जैसे कि बुह अभिषिक्त न हुआ। २२ । जझे हुए के लोहू और बलवंत कौ चिकनाई से यहनतन का धनध चन्तटा न फिरा और साजल को तलवार कूछी न फिरी॥ २३ ।