पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६१५

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३ पन्चे की २ पुस्तक पांचवौं पसुली के नीचे मारा और भाला उस के पीछे से निकल पड़ा और वहां गिर के उसी स्थान में चुह भर गया और ऐसा हुआ कि जितने उस स्थान में आते थे जहां असहेल गिर के मर गया था खड़ रहते थे। तब य अब और अविशै भी अविनैयर के पीछे पड़े और जब वे अम्मः के टोले को जो जिबन के बन के मार्ग में जोहा के आगे है पहुंचे तब सूर्य अस्त हुआ। २५ । और बिनयमोन के संतानों ने एकट्ठे होके अबिनयिर की सहाय किई और सब के सब मिल के एक जथा बन के एक पहाड़ की चोटी पर खड़े हुए ॥ २६ । तब अविनयिर ने २६ । तब अविनै यिर ने यूअब को पुकार के कहा कि क्या तलवार सदा लो नाश करेगी क्या तू नहीं जानता है कि अंत में कड़वाहर होगी कब लात लोगों को अपने भाइयों का पीछा करने से न रोकेगा॥ २७ ॥ तब यूअब ने कहा कि जीवते ईश्वर की किरिया यदि तू न कहता तो निश्चय लेागों में से हर एक अपने भाई का पीछा छोड़ के झार ही को फिर जाता॥ २८। फिर यूब ने नरसिंगा फंका और लोग मये और इसराएल का पीछा न किया और लड़ाई भी थम गई॥ २९। और अदिनै यिर अपने लोगों समेत चौगान से होके रात भर चला गया और यरट्न पार उतरा और समस्त बितरून से चल के महनैन में पहुंचा। ३०। और अब अबिनयिर का पीछा करने से उलटा फिरा और उस ने सारे लोगों का एकट्ठा किया तब दाजद के सेवकों में से असहेल को छोड़ उन्नीस जन घटे थे। ३१। परंतु दाजद के सेवकों ने बनयमीनियों में से और अविनविर के लोगों में से तीन सौ माठ जन मारे। ३२। और उन्होंने अमहेन को उठाया और उन के पिता को समाधि में जो बैनलहम में है गाड़ा और अब अपने लोगों ममेन रात भर चला गया और पौ फटते हुए इयरूम में पहुंचा। सब ३ नोसरा पर्चा 1 सामान के और दाऊद के घराने में बहुत दिन ला लड़ाई होनौ रही परंतु दाऊद बलवंत होता गया और साफल का घराना निर्धन होता गया। और में दाजद के बेटे उत्पन्न हुए उस से