पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६२३

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६ पद की २ पुस्तक । पदूम को और सारे धराने को श्राशीष दिया ॥ १२। और यह दाऊद राजा से कहा गया कि परमेश्वर ने आबिदएम को और उम की हर एक बस्तु को अपनी मंजूषा के लिये धाशोष दिया तब दाजद गया और ईश्वर को मंजूषा को आबिदएदूम के घर से अपने नगर में आनंद से चढ़ा लाया । १३। और यों हुआ कि जब परमेश्वर की मंजूषा के उठवैये छः डग चलते थे नव दाऊद बैल और पलेहुओं को बलि करता था ॥ १४ । और दाजद परमेश्वर के आगे सूती अफूट करि में बांधे जर अपनी शक्ति भर नाचते नाचते चन्ना ॥ १५ । और दाऊद और इसराएल के सारे घराने परमेश्वर की मंजघा को ललकारते और मरसिंगे के शब्द के साथ ले आये ॥ १६ । और ज्या परमेश्वर की मंजूषा दाजद के नगर में पहुंची हाजल की बेटी मौकल ने खिड़को में से दृष्टि किई और दाजद राजा को परमेश्वर के अागे उछलते और नाचते देखा चार उस ने अपने मन में उस की निंदा किई ॥ १७॥ ौर वे परमेश्वर की मंजूषा को भौनर लाये और उसे उस के स्थान पर उस तंबू के मध्य जो दाऊद ने उस के लिये खड़ा किया था रख दिया और दाजद ने होम की भेटे और कुशल को भेटे परमेश्वर के श्रागे चढ़ाई। १८। और जब दाऊद होम को भेंट और कुशल की भेटें चढ़ा चुका तब उस ने लोगों को सेनाओं के परमेश्वर के नाम से आशीष दिया। १६ । और उस ने सारे लोगों को अधात् इसराएल की सारी मंडली को क्या स्त्री क्या पुरुष हर एक को एक एक रोटी और एह एक बोटी और एक एक कटोरा दाखरस दिया और समस्त लोग अपने अपने घर को चले गये। २०। तब दाऊद अपने घराने को प्राशीष देने को फिरा उस समय साजन की बेटी मोकल दाऊद की भेंट को निकली और बोली कि इसराएल का राजा आज क्याहो ऐश्वर्थमान था जिस ने आज अपने सेवकों को दासियों की आंखो में आप को ऐसा उघारा जैसा कि तुच्छ जन आप को निर्लज्जा से उचारता है॥ २१ । तब दाजद ने मौकल से कहा कि यह परमेश्वर के आगे था जिस ने मझे तेरे पिता के और उस के मारे घराने के आगे चुना और अपने इसराएल लोग पर मुझे आज्ञा- कारी किया दूस लिये मैं परमेश्वर के धागे लीला करूंगा॥ २२। चौर में दूसरा भी अधिक नुछ हंगा और अपनी दृधि में नीचा हंगा और