पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६२४

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[७ पद्ध समूएल जिन दामियों के विषय में तू ने कहा है मैं उन से प्रतिष्ठा पाऊंगा। २३ । इम लिये साल की बेटी मीकल अपने जीवन भर निबंश रहो। औ ७सातवां पले। पर ऐसा हुआ कि जब राजा घर में बैठा था और परमेश्वर ने उसे उस के सारे बैरियों से चारों ओर चैन दिया। २। तब राजा ने नातन अागमज्ञानी को कहा कि देख मैं नारज वृक्ष के घर में रहता हूं परंतु ईश्वर को मंजूघा ओझलों में रहती है। ३। तब नातन ने राजा से कहा कि जा जा कुछ तेरे मन में है उसे कर क्योंकि परमेश्वर तेरे साथ है।४। और उसी रात ऐसा हुआ कि परमेश्वर का बचन यह कहके नातन को पहुंचा। ५ । कि जा और मेरे सेवक दाऊद से कह कि परमेश्वर यों कहता है कि क्या मेरे निबाम के लिये तू एक घर बनावेगा॥ ६ । जब से इसराएल के संतान को मिस्र से निकाल लाया मैं ने तो भाज के दिन लो घर में बास न किया परंतु तंबू में और डेरे में फिरा किया ॥ ७॥ जहां जहां मैं सारे दूसराएल के संतान के माध फिरता रहा क्या मैं ने इसराएल को किसौ गोष्टियों से कहा जिसे मैं ने आज्ञा किई कि मेरे इमराएल लोगों को चरावे कि तुम मेरे लिये प्रारज काष्ठ का घर क्यों नहीं बनाते॥ ८। अब इस लिये त मेरे सेवक दाजद से कह कि सेनाओं का परमेश्वर यों कहता है कि मैं ने तुझे भेड़ शाले में से भेड़ का पीछा करने से लेके अपने दूसराएली लोगों पर अध्यक्ष दिया। । और जहां जहां तू गया मैं तेरे साथ साथ रहा और तेरे मारे बैरियों को तेरे साम्ने से मार गिराया है और मैं ने जगत के महान लोगों के नाम के समान तेरा नाम बढ़ाया है॥१. । इससे अधिक मैं अपने इसराएली लोगों के लिये एक स्थान ठहराऊंगा और उन्हें लगाऊंगा जिसमें वे अपने ही स्थान में बसें और फिर अश्विर न होवें और दुष्टता के बंश आगे की नाई उन्हें न सताबें ॥ ११। और उस समय की नाई जब से में ने न्यायियों को अपने दूसराएली लोगों पर ठहराया और तुझे तेरे सारे बैरियों से चैन दिया परमेश्वर तुझे यह भी कहता है कि मैं तेरे लिये घर बनाऊंगा। १२ । जव तेरे दिन पूरे होंगे और तू अपने पितरों के साथ शयन