पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६२५

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७ पर्च की २ पस्तका करेगा तब मैं तेरे पीछे तेरे बंश को उभारूगा जो तेरे ही उदर से होगा और उस के राज्य को स्थिर करूंगा। १३। गेरे नाम के लिये वहीं घर बनावेगा और मैं उस के राज्य के सिंहासन को सदा ले स्थिर करूंगा। ५४। मैं उस का पिता हूंगा और वुह मेरा बेटा होगा यदि वुह अपराध करे तो मैं उसे मनुष्यों की छड़ो से और मनुष्यों के संतान की मार से ताड़ना करूंगा। १५ । परंतु मेरी दया उससे अलग न होगी जिम रौति से कि मैं ने साजल से उठा लिई जिसे मैं ने तेरे आगे से अलग किया ॥ १६ । परंतु तेरा घर और तेरा राज्य तेरे आगे सनातन ला स्थिर रहेगा और तेरा सिंहासन निन्य स्थिर रहेगा। १७। सो नातन ने इस समस्त दर्शन के समान और समस्त बचन के तुल्य दाऊद से कहा। १८। तय दाजद राजा भौतर गया और परमेश्वर के आगे बैठ के कहा कि हे ईश्वर परमेश्वर में कौन और मेरा घर क्या कि तू ने मुझे यहां लों पहुंचाया ॥ ९९। और तेरी द्रष्टि में हे ईश्वर परमेश्वर यह भी छोटी वान धौ परंतु तू ने अपने सेवक के घर के विषय में आगे को बहुत दिन के लिये कहा और हे ईश्वर परमेश्वर क्या मनुष्य का यह व्यवहार है। २० । और दाजद तुझे का कह सक्ता है क्योकि हे ईश्वर परमेश्वर तू अपने सेवक को जानता है॥ २१ ॥ क्योंकि अपने मन के और अपने बचन के कारण तू ने ये सारे महत्कार्य किय कि अपने सेवक का जमावे॥ २२। इस कारण हे ईश्वर परमेश्वर तू महान है क्योंकि तरे समान कोई नहीं और तुझे छोड़ कोई ईश्वर नहीं उन सभी के समान जो हम ने अपने कानों से सना है॥ २३ । और जगत में तेरे इमराएल लोग के समान एथिवी में कौन सी जाति है जिसे अपना ही लोग बनाने के लिये ईश्वर छुड़ाने गया कि अपना नाम करे और जिसने तुम्हारे लिय बड़े बड़े और भयंकर कार्य अपने देश के लिये अपने लोगों के आगे करे जिन्हें तू ने मिस्र से जातिगणां से और उन के देवता से छुड़ाया। २४। क्योंकि तू ने अपने लिये अपने इसराएल लोग को दृढ़ किया कि अपने लिये मनातन के लोग होवें और हे परमेश्वर तू उन का भार हुअा ॥ २५ । और अब हे ईश्वर परमेश्वर उस बान को जो तू ने अपने सेवक के विषय में और उस के धराने के [A. B.S.] 78