पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६२९

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प] ने दाऊद २० पल्ले की २ पुस्तक। ने कहा कि मैं नाहस के बेटे हनून पर अनुग्रह करूंगा जैसा उस के पिता ने मुझ पर अनुग्रह किया सेो दाऊद ने अपने सेवक को भेजा कि उस के पिता के लिये उसे शांति देवे और दाऊद के सेवक अमान के संतान के देश में पहुंचे ॥ ३। और अम्मन के संतान के अध्यक्षों ने अपने प्रभु हनून को कहा कि तेरी दृष्टि में क्या दाऊद तेरे पिता की प्रतिष्ठा करता है कि उम ने शांतिदायकों को तेरे पास भेजा है क्या दाऊद ने अपने सेवको को तेरे पास इम लिये नहीं भेजा है कि नगर को देख लेवे और उम का भेद ले। और उसे नाश करें। ४। तब हनून के सेवकों को पकड़ा और हर एक की आधी दादी मुंडवाई और उन के वस्त्र को बौच से अर्थात् पुढे लो काटा और उन्हें फेर भेजा ॥ ५ । सेो दाजद को संदेश पहुंचा और उस ने उन्हें आगे से लेने के लिये लोग भेजे इस कारण कि वे अत्यंत लज्जित थे से राजा ने कहा कि जब लो तुम्हारी दाढ़ियां बढ़ें यरोहा में रहा उस के पीछे चले आओ। ६। और अम्मून के संतान ने ज्यों देखा कि हम दाजद के आगे दुर्गध हैं तो अम्मन के संतान ने भेज के बेतरहुब के सुरियानियों के और सूबः के सुरियानियों के बौन सहस्त्र पैदल और मत्रका के राजा से सहस्र जन और नूब के बारह सहख जन भाड़े पर लिये ॥ ७॥ और दाऊद ने यह मुन के यूअब और मूरों की सारी सेना को भेजा ॥ ८। तब अम्मून के संतान निकले और नगर के फाटक की पैठ में युद्ध के लिये पांती बांधी और स्वः के और रहूब के मुरियानौ और तूब और मकः पापी आप चौगान में थे॥ । जब यूअब ने अपने आगे पीछे लड़ाई का माम्ना देखा तब उस ने इसराएल के चुने हुए में से चुन लिये और सुरियानियों के साम्ने पांती बांधी॥ १.। और उघरे हुए लोगों को अपने भाई अविशै को सपा कि अम्मन के संतान के आगे पांनी बांधे॥ ११ । और कहा कि यदि सुरियानो मुझ पर प्रबल हो तो तू मेरी सहाय कौजियो परंतु यदि अम्मून के मतान तुझ पर प्रबल हो तो मैं प्राके तेरी सहाय करूंगा॥ १२। ढाढ़स कर और अपने लोगों के लिये और अपने ईश्वर के नगरों के लिये पुरुषार्थ कर और परमेश्वर जो भला जाने से करे॥ १३। तब यूअब और उम के साथ के लोग सुरियानियों के