पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६३८

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१४ पर्च समूएल उन में से एक भी न बचा ॥ ३१ । तब राजा उठा और अपने कपड़े फाड़े और भूमि पर लोट गया और उस के सारे सेवक भी कपड़े फाड़ के उस के श्रागे खड़े हुए। ३२ । नब दाऊद के भाई सिमाह का बेटा यूनदब उत्तर दे के बोला कि मेरे प्रभु ऐसा न समझे कि समस्त तरुण अात् राज पत्र मारे गये क्योंकि अमनून अकेला मारा गया इस लिये कि जिस दिन से अमनून ने अबिसलम की बहिन तमर को पात खाई. उस ने यह बात ठान रकली थी। ३३ । सो अब मेरा प्रभ राजा इस बात को न समके कि समस्त राज पुन मारे गये क्योंकि केवल मनून मारा गया । ३४ । परंतु अविसत्नुम भागा और उस तरुण ने जो पहरे पर घा अांखें उठाई और दृष्टि किई और क्या देखता है कि बहुत से लोग मार्ग में पहाड़ की ओर से उम के पीछे चाते हैं। ३५। तब यूनदब ने राजा से कहा कि देखिये तेरे दास के कहे के समान राज पुब पाये ॥ ३६ । और ऐसा डा कि जब वह कह चुका तब राज पुत्र या पहुंचे और चिला चिना विलाप किये राजा और उस के समस्त सेवकों ने बहुत विचाप किया। ३७। पर अविनलुम जस्टर के राजा अभिहर के बेटे नलमी पास गया और दाजद प्रतिदिन अपने पुत्र के लिये रोता था। ३८। और अवि- सलम भाग के जसर में गया और नौन बरस ले बहा रहा ॥ ३८ । और दाऊद राजा का मन अविसलुम पाम जाने को बहुत था क्योंकि अमनून के मरने के विषय में उम का मन शांत हुश्रा॥ १४ चौदहवां पर्व । व जरूयाह के बेटे बूब ने देखा कि राजा का मन अविसलुम की २। तब यूअब ने नकूत्र में भेज के वहां से एक बुद्धि मतो स्त्री बुलवाई, और उसे कहा कि में तेरी विनती करता हूं कि उदासी का भेष बना और उदासी बस्त्र पदिन और अपने पर तेल मत लगा परंतु ऐसा हे जैसे कोई स्त्री जिम ने बहुत दिन से मृतक के लिये बिलाप किया है। ३। और राजा पास आ और इस रीति से उन्हो कह से यूअब ने उस के मुंह में बातें डालौं । ४। और जब तक की