पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६४९

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१८ एच] को २ पुस्तक। खोया दाऊद के और उस के लोगों के खाने के लिये लाये क्या कि उन्हें ने कहा कि लोग अरण्य में भखे और यके और प्यासे हैं १८ अठारहवां पई। पर दाऊद ने अपने संग के लोगों को गिना और सहस्रों पर और सकड़ों पर प्रधान ठहराया ॥२। और दाऊद ने लोगों के तिहाई भाग को यूअब के अधीन और तिहाई यूजच के भाई जरूयाह के बेटे अविश के अधीन और तिहाई को जअनी इत्तौ के अधीन किया और उन्हें भेजा और राजा ने लोगों से कहा कि मैं भी निश्चय तुम्हारे साथ जाऊंगा॥ ३। परंतु लोगों ने उत्तर दिया कि आप न जाइये क्योंकि यदि हम भाग निकल तो उन्हें कुछ हमारी चिंता न होगी और यदि हममें से आधे मारे जायें तो उन्हें कुछ चिंता न होगी परंतु आप हम्में से हम महन के तस्य हैं सो अच्छा यह है कि श्राप नगर में रहके हमारी सहायता कौजिये ।। ।। तब राजा ने उन्हें कहा कि जो तुम्हें सब से अच्छा लगे सो मैं करूंगा और राजा फाटक की अलंग खड़ा हुआ और समस्त लोग सैकड़ों सैकड़ों और महस सहस्र होके बाहर निकले ॥५। और राजा ने यू अब और अविशै और इत्ती को कहा कि मेरे कारण उस युबा जन अथात् अविसलुम से कोनन्त ना कौजियो और जो कुछ राजा ने समस्त मधाने से अबिमलुम के विषय में कहा सेो सब लेागों ने सुना। ६ । तब लोग निकलके चौगान में इसराएल के साम्ने हुए और मंग्राम इफरायम के बन में हुआ। ७। जहां इसराए न के लोग दाजद के सेवकों के आगे मारे गये और उस दिन वहां बड़ा जम अर्थात् बौन ८। क्योकि संग्राम मनस्त देश में फैल गया था और उम दिन बन ने खड़ से अधिक लोगों को नाश किया है। और अबि. संलुम दाऊद के सेवकों से मिला और अविसलम खच्चर पर चढ़ा था और खचर उसे ले के बलूत वृक्ष को घनौ डारों के तले घुसा और उन का सिर पेड़ में फंसा और बुह अधर में टंग गया और खच्चर यम के नीचे से चन्ना १.। और कोई देखके यू अब से कहके बाला कि मैं ने अवि- आलुम को एक बलूत क्ष पर टंगा देखा ॥ ११॥ तब यू अब उस कहवैब से [ [A.B.S.] सहस कात्रा॥ गया। 81