पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६५०

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हक्ष ममएल [१८ पल बोला कि जब त ने उसे देखा तो मारके भमि पर क्यों न डाल दिया कि मैं तुझे दस टुकड़े चांदी और एक पटुका देता ॥ १२। और उस जन ने यूअब को उत्तर दिया कि यदि तू सहस्र टुकड़े चांदी मुझे नौल देता नो भी मैं राजा के बेटे पर हाथ न रठाता क्योंकि राजा ने हमें सुना के तुझे और अविशै और इत्ती को आज्ञा कर के चिताया कि चौकस हो कोई उस तरुण अबिससुम को म छके। १३ । नहीं तो मैं अपने प्राण ही के विरोध में झठा होता क्योंकि कोई बस्तु राजा से छिपी नहीं और तू भी मेरे विरोध पर खड़ा होता ॥ १४ । नब अब ने कहा कि मैं तेरे आगे न ठहरूंगा और अब ले अबिसलुम जौता हुअा बलून के मध्य में लटका था तब यूअब ने तीन बाण हाथ में लेके अविसलुम के अंतःकरण में गोदा ॥ १५ । और दम तरूणां ने जो यूअब के अस्त्रधारी ये आवेरा और अबिसलम को मारके बधन किया ॥ १६ । तब यअब ने नरसिंगा फूंका और लोग इसराएल का पीछा करने से फिरे क्योंकि यूब ने लोगों को रोक रकदा । १७। और उन्हों ने अविसलम को लेके उस को बन के एक बड़े गड़हे में डाल दिया और उस पर पत्थरों का एक बड़ा ढेर किया और सारे इमराएल भागके अपने अपने को २८। अब अबिसलम ने जीते जी अपने लिये राजा की तराई में एक खंभा बनाया क्योंकि उस ने कहा था कि मेरे कोई बेरा नहीं जिससे मेरा नाम चले और उसने अपना ही नाम खंभे पर रक्खा और आज के दिन लो बुह अविसलुम का स्थान कहाता है। १८ । तब सदूक के बेटे अखिमअज ने कहा कि मैं दौड़ के राजा को संदेश पहंचाऊं कि परमेश्वर ने किस रीति से उस के बैरियों के हाथ से लस का मतिफल लिया। २० । तब युअब ने उसे कहा कि आज तू संदशी मत होना परंतु दूसरे दिन संदेश पहुंचाया परंतु आज तू संदेश मन ले जा इस कारण कि राजा का पुत्र मर गया है ॥ २१। फिर यूअब ने कशी को कहा कि जा और जो कुछ तू ने देखा है से राजा से कह तब कूशी यूअब को प्रणाम करके दौड़ा। २२ । फिर सटूक के बेटे अखिमज ने दूसरी बार अब से कहा कि जो कुछ हो परंतु मुझे भी कूशी के पीछे दौड़ने दौजिये तब यूअब बोला कि हे पुत्र तू किस लिये दौड़ेगा तू देखना है कि कोई संदेश नंबू गये।