पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६५३

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आये। १६ पन्न २ पुस्तक। सब से पीके हो देखते हो कि समस्त इमराएल को बाली राजा के हो उम के घर के पास पहुचौ॥ १२। तुम मेरे भाई मेरी हड्डी औरमेरे माम हो सो राजा को फेर लाने में क्यों मब से पीछे हो ॥ २३। और अमासा से कहो क्या तू मेरौ हड्डी और मेरा मांस नहीं से। यदि मैं तुझे यूअब की संती मदा के लिये सेना का प्रधान न करूं तो ईश्वर मुझ से ऐसा और उससे अधिक करे॥ १४ । और उस ने सारे यहूदाह के समस्त लोगों का मन ऐसा फेरा जैसा कि एक का मन होता है यहां लो कि उन्हों ने राजा कने भेजा कि आप अपने मारे सेवको समेत फिर आइये। १५। तब राजा फिरा और घरदन को आया और यहूदाह जिलजाल में राजा को भेट को अाये कि उसे यरट्न पार लावें ॥ १६। और जैरा के बेटे शमीय विनयमीनौ बहरीम से शीघ्र चले और यहूदाह के मनुष्यों के माथ मिल के दाऊद राजा से भेंट करने १७। और उम के माथ बिनयमौनी एक महस जन थे और साऊल के घराने का सेवक अपने पंदरह बेटे और बौस रहलु समेत आया और वे राजा के आगे यरन के पार उतर गये। १८। और राजा के घराने को पार उतारने और उस की इच्छा के समान करने के लिये घरवाही की एक नाव पार गई और जैरा का बेटा शमीय घरदन पार आते ही राजा के आगे धाँधे मूंह गिरा॥ १६। और राजा से कहा कि मेरे प्रभु मुझ पर पाप मत धरिये उस बात को सरण करके मन में मत लाइये जो आप के सेवक ने जिस दिन कि मेरा प्रभु राजा यरूसलम से निकल पाया था वैर में कहा था। २.। क्योंकि आप का सेवक जानता है कि मैं ने पाप किया इस लिये देखिये आज के दिन में यूसुफ के ममस्त घराने में से पहिले अाया हूं कि उतरके अपने प्रभु राजा से २१ । परंतु जरूयाह के बेटे अबिशे ने उत्तर में कहा क्या शमीय इम कारण मारा न जायगा कि उस ने परमेश्वर के अभिषिक्त को धिक्कारा ॥ २२। तच दाऊद ने कहा कि हे जरूयाह के बेटे मुझे तुम से क्या कि तुम आज के दिन मेरे बैरी हुया चाहते हो क्या इसराएल में आज कोई मारा जायगा क्या मैं नहीं जानता कि आज मैं इसराएल का राजा हूं। २३ । तब राजा ने शमीय से कहा कि तु मारा न जायगा भेंट करूं।