पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६५४

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[१६ पन्न समूएल और राजा ने उस के लिये किरिया खाई।२४। फिर माऊल का बेटा मिफिवसत राजा को आगे से मिलने को उतरा जब से राजा निकला था उस दिन लो कि बुह कुशन्त से फिर न आया अपने पांव न धोये थे न अपनी दाढ़ी सुधारी थी और न अपने कपड़े धोलवाये थे। २५1 और ऐसा हुआ कि जब वह यरूमलम में राजा से मिलने आया तो राजा ने उसे कहा कि हे मिफिबूमत किस लिये तू हमारे साथ न गया ! २६। और उस ने उत्तर दिया कि हे प्रभु राजा मेरे सेवक ने मुझे छला क्योंकि आप के सेवक ने कहा था कि मैं अपने लिये गदहे पर काठी बांधंगा जिसने उस पर चढ़ के राजा के पास जाऊ क्योंकि आप का सेवक लंगड़ा है।। २७। और उस ने तेरे सेवक को मेरे खामी राजा के आगे अपबाद लगाया परंतु मेरा प्रभु राजा ईश्वर के दूत के समान है सो आप की दृष्टि में जो अच्छा लगे से कोजिये ।। २८। क्याकि मेरे पिता के घराने मेरे प्रभु राजा के आगे मृतक थ तथापि आप ने अपने सेवक को इन में बैठाया ना आपही को मंच पर भोजन करते थे इस लिये मेरा क्या पद है कि अव भी में राजा के आर्य पुकारूं॥ २९ । तब राजा ने कहा कि तू अपना समाचार क्यों अधिक वर्णन करता है में कह चुका कि तू और सोबा भूमि को बाट लो। ३० । तब मिफिवसत ने राजा से कहा कि हां सब वही लेवे जैसा कि मेरा प्रभु राजा अपने ही घर में फिर कुशल से पहुंचा॥ ३१ । और राजिलीम से जिलिअदी बरजिलो उत्तर के राजा के साथ यरट्न पार गया कि यरदन पार पहुंचावे ॥ ३२। और यह बजिल्ला अस्मौ बरस का अति वृड्न था और जब कि राजा महनैन में पड़ा था बुह जीविका पहुंचाता था क्यांकि वुह अति महत जन था॥ ३३॥ से राजा ने बरजिली से कहा कि मेरे माथ पार उतर और मैं यरूसलम में अपने साथ तेरा तू पालन करूंगा। ३४। और बरजिलो ने राजा को उत्तर दिया कि अव मेरे जीवन के बरम् कितने दिन के हैं कि राजा के साथ साथ यरूसलम को चढ़ जाऊं॥ ३५ । आज में अस्मौ बरस का हुआ और क्या मैं भत्ताई बुराई का अंतर जान सक्ता हूं और क्या आप का सेवक जो कुछ खाना पीता है उस का खाद जान सका है और क्या मैं गायकों