पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६६४

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मएल [२४ पद यहूदाह के लोग पांच लाख ॥ १०। और लोगों के गिनाने के पीछे दाऊद के मन में खटका हश्रा और दाऊद ने परमेश्वर से कहा कि मैं ने इस काम में बड़ा पाप किया है और अब हे परमेश्वर में तेरी बिनती करता इं को अपनी कृपा से अपने दास का पाप क्षमा कर क्योंकि मैं ने अति मूढ़ता किई है। १९ । इस लिये कि जब दाजद बिहान को उठा तो परमेश्वर का बचन दाजद के दौँ जाद भविय्यद्वक्ता पर यह कहके पहुंचा। १२। कि जा और दाऊद से कह कि परमेश्वर यों कहता है कि मैं तेरे आगे तीन वात धरता हूँ तू उन में से एक को चुन कि मैं तुम पर भेजूं। २३ । सेो जाद दाऊद पास आया और उसे कह के बोला कि नेरे देश में तुझ पर सात बरस का अकाल पड़े अथवा तू नीन मास लों अपने शबुन के आगे भागा फिरे और वे तुझे रगेदें अथवा तेरे देश में तीन दिन की मरी पड़े अब सोच और देख कि मैं उसे जिस ने मुझे भेजा क्या उत्तर देऊ॥ १४ । तब दाऊद ने जान से कहा कि मैं बड़े सकेत में है हम परमेश्वर के हाथ में पढ़ें क्योंकि उस की दया बहुत है और मनुष्य। के हाथ में मैं न पडू॥ १५ । से। परमेश्वर ने इसराएल पर बिहान से उहराये हुए समय लो मरी भेजी और दान से लेके बिअरशवत्र लो लोगों में से समर सहन जन मर गये। १६ । और जब दून ने नाश करने के लिये यरूलसम पर अपना हाथ बढ़ाया तब परमेश्वर बराई से फिर गया और उम हुत से कहा जिस ने लोगों को नाश किया कि वस है अब अपना हाथ रोक ले और परमेश्वर का दूत यसौ अराना के खलिहान के ९.७1 और जब दाऊद ने उम दूत को देखा जिस ने लोगों को मारा तो परमेश्वर से कहा कि देख पाप तो मैं ने किया है और दुष्टता मैं ने किई है परन्तु इन भेड़ों ने क्या किया है सो मुझ पर और मेरे बाप के घराने पर तेरा हाथ पड़े। १८। और उस दिन जाद ने दाजद पाम आके उसे कहा कि चढ़ जा और यवूसी अराना के खलिहान में परमेश्वर के लिये एक वेदी बना ॥ १६ । और जाद के कहने पर दाजद परमेश्वर की आज्ञा के समान चढ़ गया। २.। और अराना नेताका और राजा को और उस के सेवकों को अपनी ओर आते देखा सो अराना निकला और राजा के आगे भकके भूमि पर प्रणाम किया ॥ २२ ॥ लग था।