पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६६८

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राजावली [१ पद पर उस के पीछे कौन बैठेगा॥ २१। नहीं तो यह होगा कि जब मेरा प्रभु राजा अपने पितरों के साथ शयन करेगा तब मैं और मेरा बेटा सुलेमान दोनों दोषी गिने जायेंगे। २२ । और देखा कि वह राजा से बातें कर रही यो कि नतन आगमज्ञानी भी आ पहुचा ॥ २३ । और उन्हों ने यह कहके राजा को जनाया कि नतन प्रागमज्ञानौ आया है और जब वुह राजा के आगे पाया तो उस ने राजा के आगे भूमि लो झुकके प्रणाम किया ॥ २४। और बोला हे मेरे प्रभु राजा क्या तू ने कहा है कि मेरे पीछे अदूनियाह राज्य करके मेरे सिंहासन पर बैठेगा ॥ २५ । क्योंकि वुह अाज उतरा और बहुत से बैल और पले हुए दार और भेड़ें मारी और समस्त राज- कुमारों का और सेना के प्रधानों का और अबिधतर याजक का नेता किया और देखिये वे उस के साथ खाने पीते हैं और कहते हैं कि अदूनियाह राजा जीये ॥ २६ । परंतु अाप के दास मुझो और सदूक याजक और यहूयदः के बेटे बिनायाह को और तेरे दास सुलेमान को न बुलाया ॥ २७। क्या यह मेरे प्रभु राजा की ओर से है और त ने अपने दास को न जनाया कि मेरे प्रभु राजा के पीछे उस के सिंहासन पर कौन बैठेगा ॥ २८१ तब दाजद राजा ने उत्तर देके कहा कि बिन्तसब को मेरे पास बुलाया और वुह राजा के आगे आई और राजा के सन्मुख खड़ी हुई ॥ २६ । राजा ने किरिया खाके कहा कि उस परमेश्वर के जीबन से जिसने मेरे प्राण को समस्त दुःख से छुड़ाया॥ ३० । जैसा मैं ने परमेश्वर इसराएल के ईश्वर की किरिया खाके तुझ कहा था कि निश्चय तेरा बेटा सुलेमान मेरे पीछे राज्य करेगा और मेरी संतो मेरे सिंहासन पर वहीं बैठेगा वैसा ही में आज निश्चय करूंगा। ३१। तब बिन्तसबा ने भूमि लों झुकके प्रणाम किया और बेग्ली कि मेरा प्रभु राजा दाजद सर्वदा जीता रहे॥ ३२॥ तब दाऊद राजा ने आज्ञा किई कि मटूक याजक और ननन भागमज्ञानी और यजयदः के बेटे बिनायाह को पास बुलाओ और वे राजा के आगे आये ॥ ३३ । तब राजा ने उन्हें भी कहा कि अपने प्रभु के सेवकों को अपने साथ लेगो और मेरे बेटे सुलेमान को मेरे ही खबर पर चढ़ाओ और उसे जैहन को ले जाया ॥ ३४॥