पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६७०

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राजावती ४७1 और इससे अधिक राजा के सेवक हमारे प्रभु राजा दाजद को यह कहके बधाई दे रहे हैं कि ईश्वर सुलेमान को तेरे नाम से अधिक बढ़ाये और उस के सिंहासन को तेरे सिंहासन से अधिक श्रेष्ठ करे और राजा ने बिछाने पर दंडवत किई॥ ४८। और राजा ने भी कहा है कि परमेश्रर दूसराएल का ईश्वर धन्य है जिस ने आज के दिन मेरे सिंहासन का बैठबया दिया और मेरी अांखों ने देखा ॥ ४६ | नब सारे नेतहरी जो अनिवाह के साथ ये डर के उठे और हर एक अपने अपने मार्ग चला गया। ५.। और श्रदूनियाह सुलेमान के डर के मारे उठा और जाके वेदो के सौंगों को पवाड़ा ॥ ५१ । और सुलेमान को संदेश पहुंचा कि देखिये अटूनियाह सुलेमान राजा से डरता है क्योंकि वुह बेदी के सौंगों को पकड़े हुए कहता है कि सुलेमान राजा आज मुझ से किरिया खाके कहे कि मैं अपने सेवक को खड्न से घात न करूंगा॥ ५२ । तब सुलेमान बोला यदि वुह आप कर योग्य पुरुष दिखावेगा तो उस का एक बाल भूमि पर न गिरेगा परंतु यदि उस में दुष्टता पाई जाय तो वुह मारा जायगा॥ ५३ । सो सुलेमान राजा गजके उसे बंदी पर से उतार लाया उस ने नाके सुलेमान राजा के प्रागे दंडधत किई और सुलेमान ने उसे कहा कि अपने घर जा। २ दूसरा पब्बे। जब दाऊद के मरने के दिन आ पहुंचे तब उस ने अपने बेटे सुलेमान को यह कहके उपदेश किया। २ कि मैं समस्त पृथिवो की रीति पर जाना है से तू दृढ़ हो और अपना पुरुषार्थ दिखा॥ ३। और परमेश्वर अपने ईश्वर को आज्ञा का पालन करके उस के मार्गी में चल और उस को व्यवस्था और आज्ञायां और विधिन और उसकी साक्षी की रक्षा कर जेमा मसा की व्यवस्था में लिखा है जिसने तू अपने कार्यों में और जिधर तू फिरे भाग्यवान होवे ॥ ४। जिममें परमेश्वर अपने बचन पर बना रहे जो उस ने मेरे विषय में कहा कि यदि तेरे बंश अपने मार्ग में चौकस रहके अपने सारे मन से और सारे प्राण से मेरे मागे सच्चाई से चलेंगे तो इसराएल के संतान का सिंहासन नझ मे अलग