पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६७२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

यूअब के लिये भी। राजाबली [२ पब्ब बोली कि अच्छा मैं तेरे लिये राजा से कहंगी॥ १४ । इस लिये बिन्त सब मलेभान राजा पाम अनियाह के लिये कह ने गई राजा उसे मिलने को उठा और उसे प्रणाम किया फिर अपने सिंहासन पर बैठ गया और राजा ने अपनी माता के लिये एक श्रासन मंगवाया और बुह उस की दहिनी और बैठौ॥ २० । तब वह वाली कि मैं एक छोटी वात चाहती हूं मुझ से नाह न कौजियो राजा ने उसे कहा कि हे माता मांगिये क्योंकि मैं तुम को नाह न कहंगा ॥ २१ । और वुह बोली कि शनामी अविशग तेरे भाई अनियाह से ब्याही जाय॥ २२। तब मुलेमान राजा ने अपनी माता को उत्तर दे के कहा कि तू केवल शुनामी अविशाग को अनियाह के लिये क्यों मरगती है उस के लिये राज्य भी मांग क्योंकि बुह मेरा बड़ा भाई है हां उस के लिये और अविवतर याजक के और जरूयाह के बेटे २३ । तव सुलेमान राजा ने परगेश्वर को किरिया खाके कहा कि यदि श्रदूनिथाह ने यह बात अपने प्राण पर खेलने को नहीं कही नो ईश्वर मभ से ऐमाही और उस्मे अधिक करे॥ २४ । सो अब परमेश्वर के जीवन से जिस ने मुझे मेरे पिता दाऊद के सिंहासन पर बैठाया और रिवर किया और जिस ने अपनी बाचा के समान मेरे लिये घर बनाया आज ही अदुनियाह मारा जायगा॥ २५ । और सलेमान राजा ने यहयद के बेटे बिनाबाह को भेजा उसने उस पर लपकके उसे मार डाला ॥ २६ । फिर राजा ने अविवतर याजक को कहा कि अनातूत को अपने खेतों में जा क्योंकि तू मृत्यु के योग्य है परंतु इस जून मैं तुझी मार न डालूंगा इम कारण कि तू मेरे पिता दाजद के आगे परमेश्वर ईश्वर को मंजूषा उठाता था और इस लिये कि तू उन सब दुःखां में जो मेरे पिता पर पड़े संगो था॥ २७। से सुलेमान ने अविवतर को परमेश्वर का याजक होने से दूर किया जिस ते वह परमेश्वर के बचन को संपर्ण करे जो उम ने मेला में एली के घराने के विषय में कहा था। २८ तब यूअब को संदेश पहुंच। क्योंकि यूअब अनिया के पीछे हुआ था यद्यपि धुह अबिमलुम की ओर न फिरा था से उस ने परमेश्वर कं तंबू में भायके वेदी के सौंगों को धरा । २६ । और सलेमान को संदेश पहुंचा कि यूअब भागके परमेश्वर के तंबू में गया और देखो कि