पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६८०

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राजावली [६ पदे तेल देता था ॥ १२ । और परमेश्वर ने सुलेमान को अपनी बाचा के समान बुद्धि दिई और हीराम और सुलेमान में मिलाप था और उन दोनों ने अापुस में मेल किया ॥ - १३ । और मुलेमान राजा ने सब इसराएल के संतान से मनुष्यों का कर निथा और नीस सहस मनुष्य हुए॥ १४। और बुह उन्हें लुबनान को हर मास पारी पारौ दस महत्व भेजा किया मास भर लुबनान में रहते थे और दो मास अपने घर में और अदुनौराम उन का प्रधान था। १५ । और सुलेमान के सत्तर सहन बोझिये थे और अस्मी महस पेड़ कटवैये पर्वते में थे॥ १६ । और मुलेमान के श्रेष्ठ प्रधानों से अधिक जो कार्य पर थे तीन सहस नौन मो थे जो कार्य्य करवैयों से काम लेने थे॥ १। और राजा ने प्राज्ञा किई और वे बड़े बड़े पन्यर और बहुमूल्य पन्यर और गहे हुए पत्थर लाये जिसने घर को नेव डाले ॥ १८। और मुलेमान के थवई और हीराम के यवई और पत्थर के सुधरवैये उन्हें काटते थे से। घर बनाने के लिये उन्हों ने लट्टे और पत्थर सुधारे। ६ इटवा पर्छ । पर मिस्र के देश से इमराएल के संतान के निकलने से चार मै अस्मी बरम पीछे दूसराएल पर मुलेमान के राज्य के चौथे बरस जीफ के माम में जो दूसरा मास है ऐसा हुआ कि उस ने ईश्वर का मंदिर बनाना प्रारंभ किया। २। और वुह घर जो सुलेमान राजा ने परमेश्वर के लिये बनाया उस की लम्बाई साठ हाथ और चौड़ाई बीस हाथ और ऊंचाईनीस हाथ थी॥ | और उस घर के मंदिर के सारे कौ लम्चाई बोस हाथ घर को चौड़ाई के समान थी और उस की चौड़ाई घर के आगे इस हाथ घो। ४। और घर के लिये उस ने झरोखे बनावे बाहर की ओर से सकेत और भीतर चौड़ा। ५। और घर को भीत से मिली हुई कोठरियां चारों और बनाई अर्थात् 'घर की भौतों के चारों ओर क्या मंदिर का क्या ईश्वरीय बाणी का और उस ने चारों ओर कोठरियां बनाई। ६। और नीचे की कोठरी पांच हाय चौड़ो और वौच को छः हाथ चौड़ी और तीसरी सात हाय चौड़ी थी क्योंकि घर के बाहर बाहर