पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६८३

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७पच की १ पस्तक। जो पाठवां मास है घर उस की समस्त सामग्रो सगेत और उस के मारे डोल के समान वन गया और उस के बनाने में सात बरस लगे। ७ सातवा पई। रंतु सुलेमान को अपना ही घर बनाने में तेरह बरस लगा और जब वह अपना सारा घर बना चुका ॥ २१ तो उस ने नुवनान के बन का भी श्रारज काष्ठ के खभा की चार पांती पर बनाया और खंभों पर प्रारज काष्ठ के लट्ठे थे उस घर की लम्बाई सो हाथ और चौड़ाई पचास हाथ और ऊंचाई तीस हाथ ॥ ३। और उस की छत आरज काठ से बनाई और कडिय़ों को उस काष्ठ पर रक्खा जो पैंतालीम खभा के ऊपर थी हर एक पांती में पंद्रह पंदरह खंभे थे । ४। और खिड़कियां की तीन पाती थीं तीनों पांतो अान्ने सामने थी॥ ५ । समस्त द्वार और चौखट देखने में चौकोर थे और तीन पातियों में खिड़की के सम्मुख खिड़की थौ॥ ६। और उस ने खंभों का एक आसारा बनाया जिस की नम्बाई पचास हाथ और चौड़ाई नौस हाध और सारा उस के सन्मुख था और खंभे और मोटा लट्ठा उन के सन्मुख ॥ ७ । तब उस ने सिंहासन के लिये एक यासारा बनाया अर्थात् न्याय का सारा और उस की एक अलंग दूसरी लो प्रारज काष्ठ से पाटा ॥ ८ | और उस के रहने के घर के सारे में वैसा ही कार्य कर एक दूसरा आंगन था और सुलेमान ने फिर जन की बेरी के लिये जिसे उस ने ब्याहा था इस ओसारे की नाई एक घर बनाया। है। और उस की व सारे बहुमूल्य पत्थर से थौ जो गढ़े और आरे से चौरे गये थे और उसी रौति से घर के भीतर और बाहर नेव से लेके कृत ला और उसी भांति घर के बाहर आंगन ले बनाया ॥ मब बहुमूल्य बड़े बड़े पत्य को थी दम दम और आठ आठ हाथ के पत्थर ॥ ११॥ और गढ़े हुए पत्थरों के समान ऊपर भी बहुमूल्य पत्थरों का और प्रारज काष्ठ का था॥ १२। और चारों ओर के बड़े प्रांगन तीन पांती गढ़े हुए पत्यर को और एक पांती आरजलट्टे की परमेश्वर के घर के भीतर के आंगन के लिये और घर के सारे के लिये। १३। और मुलेमान राजा ने मूर से हीराम को बुला भेजा ॥ १.। और