पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६८४

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राजाबली [७ पर्व १४ । और वुह नफनाली की गोष्ठी की एक विधवा स्त्री का बेटा था और उस का बाप सर' का एक ठठेरा और पीतल के समस्त कार्य में बिद्या और ज्ञान से निपुण और परिपूर्ण था और वह सुलेमान पास पाया और उस का समस्त कार्य किया। १५ । और उस ने पौतल के दो खंभे अठारह अठारह हाथ के ढाले और बारह हाथ की डोरी उन की चारों ओर का नाप था॥ १६ । और उस ने खंभा के ऊपर धरने के लिये ढले हुए पीतल के दो भाड़ बनाये हर एक की ऊंचाई पांच हाथ की। १७। और भाड़ों के लिये जो खका के जपर घे चौघरे कार्य के और मुथी हुई, सीकरें हर एक झाड़ के लिये सात सात बनाये । १८ । और उम ने खंभे और उन के मथाल के झाड़ों को अनारो से ढांपने के लिये जाल कार्य के चारों ओर दो पांतियां बनाई वैसा ही दूसरे भाड़ के लिये बनाया ॥ १६। और खंभे के माड़ी के ऊपर सारे में चार हाथ के सौसन फूल के कार्थ ॥ २० । और वैसा ही दोनों खंभों के झाड़ों के जपर जो जाल कार्य के लग थे बीच के प्राग्ने मान्ने और दूसरे झाड़ पर चारों और पांती पांती दो सौ अनार थे ॥ २१ । और उम ने मंदिर के लोसारे में खंभे खड़े किये और उस ने दहिना खंभा खड़ा किया और उस का नाम यखीन रक्खा [बुह स्थिर करेगा] और दूसरा खंभा बाई और उस का नाम बोबज रकबा [कि दम में दृढ़ता है। २२। और खंभों के ऊपर सासन फूल का कार्य से खंभों का कार्य बन गया। २३ । फिर उस ने ढला हुआ एक समुद्र बनाया जिस का एक कोर दूसरे कोर से हम हाथ का था बुह चारों और गोल था और उस की ऊंचाई पांच हाथ और तीम हाथ की डोरी उस की चारों ओर जाती थी। २४ । और उस के कोर की चारों ओर के नीचे हाथ भर कलियां घेरों जो समुद्र की चारों ओर घेरती थौं दो दो पांतो में कलियां दाली गई॥ २५ । बुह वारह बैलों पर धरा गया था नौन के मुंह उत्तर की चोर और तीन के पश्चिन की और और तीन के दक्षिण की और और तीन के पूर्व की और और समुद्र उन सभी के ऊपर और उन के पुढे भीतर की अलंग थे॥ २६। और उस की मोटाई चार अंगुल की और उस का कोर कटारे के कोर की नाई मौसन के फूलों से बना