पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६८६

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४४॥ राजावली और बासन बनाये और हीराम ने परमेश्वर के मंदिर के लिये सुलेमान के लिये समस्त कार्य समाप्त किया॥ ११ ॥ दो खंभे और झाड़ के कटारे जो दोनों खभा के मथाले पर थे और दोनों जाल कार्य झाड़ों के कटोरों के ढापने के लिये दोनों खंभों के मयाले पर थे । ४२। और दोनो जाल कार्य के लिये चार सौ अनार अनारों की दो पांतियां एक एक जाल कार्य के लिये जिसने खंभों के ऊपर के झाड़ों के दोनों टोक ढांपे जायें। ४३ । और दस प्राधार और आधारों पर दस स्नान पात्र ॥ और एक समुद्र और बारह बैल समुद्र के नीचे ॥ ४५ । और हाड़ियां और फावड़ियां और वासन और यह समस्त पाब जो हीराम ने सुलेमान राजा के लिये परमेश्वर के मंदिर के निमित्त बनाये ओपे हुए पीतल के थे। ४६ राजा ने उन्हें यरदन के चौगान में और सुझान और जरनान के मध्य भूमि की गहिराई में ढाला॥ ४७। और सुलेमान ने उन सब पात्रों को उन को बहुताई के मारे बेतौल छोड़ा और उस पीतल की तोल कधौ जांची न गई। ४८। और सुलेमान ने परमेश्वर के मंदिर के लिये सब पात्र बनाये अर्थात् सोने की बेटी और सोने का मंच जिस पर भेंट की रोटी रकही जाती थी। ४६ । और चोखे सोने की दीरें पांच दहिनी और पांच बाई अलंग और उस के फूल और दीये और चिमटे सोने के ईश्वरीय वाणी के आगे॥ ५। और कटोरे और कतरनियां और बासन और चमचे और धूपदान निर्मल सोने के और भीतर के अन्यंत पवित्र स्थान के द्वारों के लिये और घर के अर्थात् मंदिर के द्वारों के लिये सोने की चूलें बनाई ॥ ५१ । सो सब कार्य जो सुलेमान राजा ने परमेश्वर के मंदिर के लिये किये बन गये तब सुलेमान अपने पिता दाजद को समर्पण किई हुई बस्ते भीतर लाया अर्थात् चांदी सेना और पात्र परमेश्वर के घर के भंडारों में रकवा । ८ आठवां पर्व। व सुलेमान ने दूसराएल के प्राचीनों को और गोष्ठियों के सारे प्रधानों को और दूसराएल के पितरों के अध्यक्षों को अपने पास यरूसलम में एकट्ठा किया जिसमें वे परमेश्वर की बाचा की मंजूषा को