पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६८७

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८ पन्च दाजद के नगर से हून से लावं ॥ २। तब इमराएल के सारे लोग सुलेमान राजा के पास जेवनार में स्थानिम मास में जा सातवां मास है एकडे हुए।३। और दूसराएल के सारे प्राचीन आये और याज्ञकों ने मंजपा उठाई। । । और परमेश्वर की मंजूषा को और मंडलौ के तंबू को और तंबू में के समस्त पवित्र पात्रों को याजक और लावो उठा लाये ॥ ५। और सुलेमान राजा ने और इसराएल की मारी मंडली ने जो उस पास एकट्ठी हुई और उस के साथ मंजषा के आगे थ भर और बैल इतने बलि किये जिन का लेखा और गिनतो बहुताई के मारे न कि गई। ६ । और याजकों ने परमेश्वर को बाचा को मंजूषा को लाके उस के स्थान में ईश्वर को बाचा के मंदिर के मध्य अत्यंत पवित्र में करीबियों के डैमों के नीचे रक्खा ॥ ७॥ क्योंकि करीबी अपने डैने मंजूषा पर फैलाये थे और करीबियों ने मंजूषा को और उस के वहंगरों को ढांप लिया ॥ ८। और बहंगर के सारे पवित्र स्थान ईश्वरीय बाणी के अागे दिखाये जाने के लिये उन्हों ने बहंगरों को निकाला इस लिये वे बाहर देखे न जाते थे और वे आज लो वहां हैं ॥ । पन्थर को उन दो परियों को छोड़ जिन्हें मूसा ने उस में हरिब में रक्खा था जहां परमेश्वर ने इसराएल के संतान से जब चे मिस्र के देश से निकल आये थे बाचा बांधौ थो मंजघा में कुछ न था। १०। और यों हुआ कि जब याजक पवित्र स्थान से बाहर आये तब परमेश्वर का मंदिर मेव से भर गया । ११। यहां लोकि मेव के कारण याजक सेवा के लिये उहर न सके क्योंकि परमेश्वर के विभव से परमेश्वर का मंदिर भर गया था॥ १२। तब सुलेमान ने कहा कि परमेश्वर ने कहा था कि मैं अंधकार मेघ में बाल करूंगा। १३ । मैं ने निश्चय तेरे निवास के लिये घर बनाया है एक मनातन के रहने के लिये एक स्थिर १४ । नब राजा ने अपना मुंह फेर के इसराएल की सारी मंडली का आशीष दिया और दूसराएल की सारी मंडली खड़ी हुई। १५ । फेर उस ने कहा कि परमेश्वर दूसराएल का ईश्वर धन्य जिस ने मेरे पिता दाऊद से अपने मुंह से कहा और यह कहके अपने हाथ से पूरा किया है। १६। जब से में अपने इसराएल लोगों को मिस्र से निकाल लाया मैं ने सारे इमराएस की गोष्ठियों में से किसी नगर को नहीं चुना (A, B. S.) स्थान॥ 86