पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६८८

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राजावली कि घर बनावे जिसने मेरा नाम उस में हाये परंतु मैं ने दागद का चना कि मेरे दूसराएल लोगों पर प्रधान होवे ॥ १७। और मेरे पिता दाऊद के मन में था कि परमेश्वर दूसराएल के ईभर के लिये एक घर बनावे॥ १८। और परमेश्वर ने मेरे पिता दाजद से कहा कि मेरे नाम के लिये एक घर बनाना तेरे मन में था सेन ने अच्छा किया कि तेरे मन में था॥ १६ । तिस पर भी न मेरे लिये घर न बनाना परंतु तेरा बेटा जो तेरी कटि से निकलेगा से मेरे नाम के लिये घर बनावेगा॥ २.। और परमेश्वर ने अपने कहे जर वचन को पूरा किया और में अपने पिता हाजद के स्थान में उठा है और परमेश्वर को दाचा के समान इसराएल के सिंहासन पर बैठा है और दूसराएल के ईयर परमेश्वर के नाम का एक घर बनाया है। २१ । और मैं ने उस में मंजूषा के लिये एक स्थान बनायर जिस में परमेश्वर की बाचा है जो उस ने हमारे पितरों से किई जब बुह उन्हें मिस्त्र के देश से निकाल लाया ॥ २२। और सुलेमान ने इसरा. एत की सारी मंडली के नागे और परमेश्वर की वेदों के नागे खड़े होके अपने हाथ खर्म की छोर लाये २३ । और कहा कि हे परमेश्वर इमराएल के ईश्वर नेरे समान कोई ईश्वर ऊपर खगे में अपया नीचे पृथिवी में नहीं जो अपने सेवकों के साथ जा तेरे प्रामे अपने सारे मन से चलते हैं बाचा चार दया का रखना है ॥ २४॥ जिस ने अपने सेवक मेरे पिता दाजद से अपने क हेके समान र बड़ी तू ने अपने मुंह से भी कहा है और अपने हाथ से बाज के दिन पूरा किया है। २५ । इस लिये अब हे परमेश्वर इसराएल के ईश्वर अपने सेवक गेरे पिता दाजद के साथ पालन कर जोन ने यह कहके प्रण किया कि केवल यदि तेरे संतान अपनी चाल में चौकम होके तेरे समान मेरे बागेचसोनेरे लिये दूसरा- एल के सिंहासन पर बैठने को मेरी दृष्टि में पुरुष कट न जायगा । २६। और अब हे दूसराएल के ई घर में तेरी विनती करता हूं अपने उस वचन को जीत ने मेरे पिता अपने सेवक दाजद से कहा पूरा बार। २७। परंतु क्या सचमुच ईश्वर पृथिवी पर वास करेगा देख वर्ग और खगी के खर्ग नेरो समाई नहीं रखते तो फिर क्या यह वर जा में ने बनाया है। २८। हे घरगेश्वर गेरे ई बार अपने सेवक की प्रार्थना चौर