पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६९५

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समाचार था। की पुस्तक । थी जो उस ने उसे न बताया। ४ । और जब सिबा की रानी ने सुलेमान कौ समस्त बुद्धि को और उस घर को जो उस ने बनाया था ॥ ५ । और उस के मंच के भोजन को और उस के सेवकों का बैठना और उस के दासे का खड़ा होना और उन का पहिराया और उस के कटोरे के देवयों उस का चढ़ावा जो वुह ले के परमेश्वर के मंदिर को जाता था देखा नव वुह मूर्छित हो गई। ६ । और उस ने राजा से कहा कि आप की कहावत और दद्धि जो मैं ने अपने ही देश में मुना था से सत्य ७। तिस पर भी जब लो मैं ने अपनी आंखों से न देखा नब ले उन बानों की प्रतीत न किई और देखिये कि आधा मुझे न कहा गया था क्योंकि तू ने बुद्धि और भत्ताई उस यश से अधिक बढ़ाई॥ । धन्य तेरे जन और धन्ध सेवक जो नेरे आगे खड़े होके तेरा ज्ञान सुनते हैं।। परमेश्वर तेरा ई पर धन्य जिस ने तभा से प्रसन्न होके इसराएल के सिंहासन पर तुझे बैठाया इस कारण कि परगेश्वर ने इसराएल से पीति रकती दूम लिये टम ने तो न्याय चौर धो के लिये राजा किया। ९.। और एस ने एक सौ बौस नोड़े सेोने चार प्रति बहुत सुगंध व्य और मणि राजा को दिये और इन के समान जो सिबा की रानी ने सुगंध द्रव्य सुलेमान राजा को य हुताई से दिया ऐसा कभी न भाया ।। २१। और होराम की बहौर भी जो ओफौर से सोमा लाये थे और योफोर से चंदन के बहुत वृक्ष और मणि लाये।। १२ । और राजा ने परमेश्वर के मंदिर के लिये और अपने भवन के लिये चंदन रक्ष के खंभे बनवाये और गायकों के लिये बीणा और खजड़ी बनवाई और चंदन के ऐसे वृक्ष न कभी आये न प्राज लो देखे गये । १३ । और मुडेमान राजा ने सिवा को रानी को उस की समस्त बांश जो उस ने मांगी दिई और सुलेमान ने राजकीय दान उसे दिया और वुह अपने सेवकों समेत अपने ही देश को फिर गई। १४ । बेपारी और मुगंध ट्रव्य के बैंपारी। १५ । और अरब के समस्त राजा और देश के अध्यक्ष जो सेना लाते थे उससे अधिक एक बरस में छ: मो छयासठ नोड़े सेाने मुलेमान पास पहुंचाये गये। १६ । और मुत्तेमान राजा ने सोना गढ़वाके दो सौ ढालें बनवाई हर एक ढाल में [A. B, S.] 87