पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६९६

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[२० पन्द और उन छ: राजावली मबा पांच सौ मोहर के लगभग लगा। १७। और सोना गढ़वाके तीन मो ढाल बनवाई एक एक ढाल डेढ़ डेढ़ सेर सोने की थी सो राजा ने उन्हें उस घर में जो लुबनान के बन में था रकदा । १८। चार राजा ने हाथी दांत का एक बड़ा सिंहासन बनवाके उसे प्रत्युत्तम । सोने से मढ़वाया। १६ । उस सिंहासन को छ: सीढ़ी और सिंहासन के ऊपर पीछे की ओर गाल था और आसन की दोनों ओर टेक था और दोनों हाथों की अलंग दो सिंह खड़े थे। सीढ़ियों के ऊपर दोनों अलंग सिंह खड़े थे किसी राज्य में ऐसा न बना था॥ २१ । और सुलेमान के समस्त पीने के पात्र सोने के थे लुबनान के बन में जो घर था उस के भी समस्त पात्र चाखे सोने के धे एक भी रूपे का न था सुलेमान के समय में उस की कुछ गिनती न थी॥ २२। क्योंकि होराम के बहोरों के साथ राजा के नरसीसी बहोर समुद्र में थे और सरसौस के बहौर तीन तीन बरस में एक बार सोना और रूपा और हाथी दांत और बंदर और मार लाते थे॥ २३ । सेो सुलेमान राजा धन और बुद्धि में प्रथिवी के सारे राजाओं से अधिक घा २४ । और ईश्वर ने सुलेमान के अंतःकरण में जो ज्ञान दिया था उसे सुन्ने के लिये मारी पृथिवी उस के दर्शन की बांछा करती थी। २५ । और हर एक जन बरस बरस अपनी अपनी भेट लाया अर्थात् सोने और रूपे के पाज और पहिराया और हथियार और सुगंध द्रव्य और घोड़े और खच्चर ।। २६ । और सुलेमान ने रथ और घोडचढ़े एकट्ठे किये और उस के पास चौदह सौ रथ और बारह सहन घोड़वहे थे जिन्हें उस ने रघों के नगरों में और राजा के संग यरूसलम में रक्खा ॥ २७॥ चौर राजा ने यरूसलम में चांदी को पत्थरों के तुल्य और आरज वृक्ष बहुताई में चौगान के गूलर पेड़ों के समान किया । २८। और मुलेमान के पास घोडे मिस से लाये गये थे और राजा के बैपारी भाव से लाते थे। २८ । और एक रथ छ: सौ टुकड़े चांदी को मिस से निकलते और रूपर आते थे और एक छोड़ा डेढ़ सौ को और हित्ती के सारे राजायों के लिये और अराम के राजाओं के लिये उन के द्वारा से ऐसा ही लाते थे।